सभी भक्तियों में सर्वोपरि है देशभक्ति

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नई दिल्ली, 19 दिसंबर। आजादी का अमृत महोत्सव के तहत “देशभक्ति और साहित्य- संस्मरण, चर्चा एवं काव्य पाठ” विषय को लेकर उत्थान फाउंडेशन के तत्वाधान में जूम मीट पर अंतरराष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया। इसमें उपस्थित वक्ताओं ने एक स्वर में माना कि देशभक्ति साहित्य के माध्यम से भी हो सकती है। अलग-अलग वैचारिक भक्तियों में देशभक्ति सर्वोपरि है।

कार्यक्रम संचालिका और आयोजिका अरूणा घवाना ने कहा कि देशभक्ति का जज्बा होना जरूरी है। एक सिपाही बंदूक से और एक सिपाही कलम से, दोनों ही सूरतों में देश के दुश्मनों का सर कलम होना है।

इस वेबीनार के मुख्य अतिथि नीदरलैंड से प्रो. गौतम ने आदिवासियों के योगदान को याद किया। साथ ही उन्होंने देशभक्ति को समझने की बात कही।

अतिथि वक्ता लंदन से शैल अग्रवाल ने देशभक्ति और स्वतंत्रता सेनानियों की बात करते हुए संग्राम के उस काल को चार भागों में विभाजित किया।

डेनमार्क से प्रो. योगेंद्र ने पारिवारिक संस्मरण में सेनानियों की कुर्बानी याद की। साथ ही माना कि सबकी अपनी-अपनी देशभक्ति होती है।
स्वीडन के इंडो-स्कैंडिक संस्थान के उपाध्यक्ष सुरेश पांडेय ने पुरानी दिल्ली की यादों को ताजा किया। लाल किले पर होने वाले मुशायरों और कवि सम्मेलनों का भी जिक्र किया।
मॉरीशस से पत्रकार सविता ने माना कि उनका देश तो उन्हीं में बसा है। अपने घर से ही देशभक्ति की शुरुआत की जाए।
दिल्ली से प्रो. हेमंत जोशी ने देशभक्ति को समझने और कवियों के योगदान को विस्तृत रूप से याद किया। मोदीनगर से चंर्द्शेखर शास्त्री ने स्वतंत्रता आंदोलन का संस्मरण सुनाया।

आजादी का अमृत महोत्सवः देशभक्ति व साहित्य पर अंतरराष्ट्रीय वेबिनार आज

 

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