संवेग और भावनाएं मानवीय स्वभाव के स्वाभाविक गुण हैं। इनका कम अथवा अधिक होना भी जन्मजात प्रवृत्ति है।
लेकिन,
व्यक्ति की परवरिश, वातावरण, संगत, शिक्षा और अनुभव से संवेगो एवं भावनाओं पर संतुलन किया जाना संभव है।
प्रो. (डॉ) सरोज व्यास
(लेखिका-शिक्षाविद्)
निदेशक, फेयरफील्ड प्रबंधन एवं तकनीकी संस्थान,
(गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय), नई दिल्ली