विचारणीय प्रश्न
कैसे कोई प्रियजन, परिजनों और घनिष्ठ मित्रों से उपहार के एवज (बदले) में यह अपेक्षा/मांग कर लेते हैं कि पैसे मिले/दे दीजिए?
उत्तर
ऐसे लोगों के पास तर्क होता हैं कि स्वयं की रुचि और पसंद की वस्तु खरीद लेंगे। ऐसी मानसिकता वाले अवश्य विचार करें। उपहार और भेंट अधिकार नहीं सम्मान है और सम्मान मांगने एवं खरीदने की वस्तु नहीं है। उपहार तो अनमोल भावनाओं का भौतिक स्वरूप है।
प्रो. (डॉ) सरोज व्यास
(लेखिका-शिक्षाविद्)
निदेशक, फेयरफील्ड प्रबंधन एवं तकनीकी संस्थान,
(गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय), नई दिल्ली