Tag: laghukatha
सन्नाटों का प्रकाशपर्व
दशहरा बाद के बीस दिन जैसे नीले घोड़े पर सवार होकर उड़े जा रहे थे। बँगलों में हो रही साफ-सफाई और रँगाई-पुताई ने सूचित...
मधुदीप की लधुकथाः लौटा हुआ अतीत
हाँ अनवर! मैं इस धार्मिक किताब पर हाथ रखकर पूरे होशो हवास में यह स्वीकार करती हूँ कि उस समय तुम्हारे प्यार की गिरफ्त...
मधुदीप की लघुकथाः समय का पहिया घूम रहा है
शहर का प्रसिद्ध टैगोर थिएटर खचाखच भरा हुआ है। जिन दर्शकों को सीट नहीं मिली है वे दीवारों से चिपके खड़े हैं। रंगमंच के...
मधुदीप की लघुकथाः नमिता सिंह
हँसता हुआ नूरानी चेहरा, काली जुल्फें रंग सुनहरा...जी हाँ! आप नमिता सिंह के बारे में बेशक यह जुमला उछाल सकते हैं मगर उसके व्यक्तित्व...