- शराब पर हंगामा है क्यों बरपा? नेताजी पिएंगे तो ही तो जनता पीएगी!
- समझते क्यों नहीं? प्रदेश को या तो हाईकोर्ट चला रही है या शराब!
पांच साल में तीसरी बार जनसेवा की शपथ लेने वाले महान धार्मिक और संस्कारी नेता सतपाल महाराज के विधानसभा क्षेत्र चौबट्टाखाल के मुख्य बाजार नौगांवखाल में गत दिनों गया था। नौगांवखाल की अधिकांश दुकानों पर ग्राहकों का सन्नाटा पसरा था लेकिन शराब की दुकान पर खूब चहल-पहल थी। पहाड़ों में अब भी थोड़ी शर्म बाकी है इसलिए ग्राहक थैला लेकर दुकान तक पहुंचते और इस तरह की ओलंपिक गोल्ड मेडल मिल गया हो बेन जानसन की तर्ज पर दौड़ कर अन्य दुकानों में घुस रहे थे। उनके चेहरों को गौर से देख रहा था तो अलौकिक चमक थी। इसके बाद वो शायद घर के लिए राशन या शराब के साथ चखना लेने के लिए बगल की दुकानों में जा रहे थे।
मैंने जिज्ञासा वश एक दुकानदार से पूछा, भाई क्या शराब इतनी खराब है तो छुपा कर पी जाएं। वो मुंह बिचका कर बोला, हां, शराब में कोई बुराई नहीं, बल्कि यहां स्मैक, गांजा और चरस भी मिलती है। अब नशा एक स्टेटस सिंबल है। यानी जिसके पास पैसा है नशा वही करता है। 630 की शराब की बोतल लो या एक हजार की छटांक भर चरस। मुझे आश्चर्य नहीं हुआ। हमारे पहाड़ के युवा फौज में 1600 मीटर की दौड़ भी तो इसी नशे से पूरी नहीं कर पाते हैं। हमारे प्रदेश के नेता, युवा और जागरूक लोग जानते हैं कि हमारे लिए शराब और नशा कितना जरूरी है। इसलिए हमने सुबह से ही पीनी शुरू कर दी। इसका दोहरा लाभ हुआ है कि सरकार को राजस्व मिला और हमारे बारे में जो धारणा थी कि सूर्य अस्त, पहाड़ी मस्त वो भी गलत साबित हुई क्योंकि हम तो अलसुबह से ही पी रहे हैं क्योंकि प्रदेश में विकास की लहर लानी है। सरकार को हमारी चिन्ता है इसलिए सरकार ने शराब कारोबारियों के 196 करोड़ माफ कर दिये कि लाॅकडाउन में उनको नुकसान हुआ है।
अब, जब प्रदेश की आर्थिकी की रीढ़ और रोजगार का जरिया नशा ही है तो पता नहीं क्यों कुछ असामाजिक तत्व सोशल मीडिया पर हमारे नेताओं के भरे या आधी खाली गिलास दिखा कर कह रहे हैं कि देखो नेता शराब पी रहा है। अरे भाई, वो पिएगा तो ही प्रदेश का युवा अनुसरण करेगा। उस नेता के लिए ताली बजाओ-थाली बजाओ। उसे प्रोत्साहित करो कि खूब पियो और प्रदेश भर को पिलाओ। हर घर नल हो, जल भले ही न हो लेकिन मीटर लगाकर शराब की आपूर्ति कराओ ताकि कोरोना की तीसरी लहर में पियक्कड़ों को ठेके खुलने का इंतजार न करना पड़े। खूब पियो और खूब जियो। यह राजस्व का सबसे बड़ा जरिया है।
जय हिंद, जय उत्तराखंड।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]