सरकारी सिस्टम की पोल खोलती ‘चातुरी चतुरंग‘

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  • लोक सेवक ललित मोहन रयाल ने दिखाई जबरदस्त हिम्मत
  • पढ़ेंगे तो श्रीलाल शुक्ल का राग दरबारी आएगा याद

एक पटवारी बहुत ही अड़ियल किस्म का था। अफसर के काबू नहीं आ रहा था। मनमानी करता। इस कारण अफसर ने उसकी सीआर में लिखा कि ही इज स्नेक। पटवारी तब भी नहीं सुधरा तो अफसर ने आगे लिखा, ही इज स्नेक एडं पाइजिनियस टू। जब पटवारी को लगा कि उसकी नौकरी पर खतरा है तो उसने अफसर की पत्नी की सेवा करनी शुरू कर दी। किचन तक सब्जी और राशन पहुंचा दी। बस, फिर क्या था। अफसर की बीबी खुश तो अफसर खुश, उसने पटवारी की सीआर में आगे लिखा, बट सेलडम बाइट।
यह किस्सा लेखक ललित मोहन रयाल की पुस्तक चातुरी चतुरंग का है। लेखक पीसीएस अधिकारी हैं। इसके बावजूद उन्होंने सरकारी सिस्टम की कमियों को बहुत ही रोचक ढंग से उजागर किया है। लेखक के मुताबिक सरकारी नौकर की चाल समझना टेढ़ी खीर है। पुस्तक में गजब की रसधार है। सहज भाषा है और लेखन में पहाड़ी नदी सी कल-कल की आवाज और सुंदर मोड़। यह पाठक को पुस्तक के अंत तक बांधे रखती है। पुस्तक में चौकीदार से लेकर बाबू तक के भ्रष्टाचार को व्यंग्यात्मक ढंग से लिखा गया है। लेखक ने सरकारी नौकरी के हर पहलू को छून की कोशिश की है। निश्चित तौर पर किसी लोक सेवक द्वारा इस तरह की पुस्तक लिखने में की गयी हिम्मत की दाद तो बनती है।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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