कई सवालों के जवाब गलत, 77 हजार अभ्यर्थी
14 तक आनलाइन आपत्तियां करें दर्ज: संतोष बडोनी
सुबह सोया ही था कि मोबाइल की घंटी बजी। अनजान नंबर था। फोन उठा लिया। दूसरी ओर से एक युवक की आवाज आयी। सर, सब गलत हो रहा है। पिछले चार साल से परीक्षा की तैयारी कर रहा हूं। पांच दिसम्बर को ग्राम विकास अधिकारी की परीक्षा दी थी। आयोग ने जो आंसर की जारी की है उसमें छह सवालों के जवाब गलत हैं। यदि इसमें सुधार नहीं हुआ तो मैरिट में आने से रह जाउंगा। यह कहते वह भावुक हो गया। कहा, उम्र निकली जा रही है। उसका कहना सच है।
उत्तराखंड राज्य अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने 5 दिसम्बर को ग्राम विकास अधिकारी के पदों के लिए लिखित परीक्षा आयोजित की थी। इस परीक्षा में 77 हजार अभ्यर्थी थे। आयोग ने जो आंसर की जारी की है, उसमें पांच-छह सवालों के जवाब गलत हैं। प्रश्न संख्या 3 का जवाब 5 है जबकि आयोग ने 6 दिया है। प्रश्न 4 का जवाब ब्रज भाषा होना चाहिए जबकि आयोग ने अवधि दिया है। प्रश्न 6 का जवाब किताबों में दृष्टव्य दिया है जबकि आयोग ने द्रष्टव्य दिया है। प्रश्न 15 का जो सवाल है उसके दो जवाब किताबो में मिल रहे है यानी मकान और हजार शब्द दोनो फ़ारसी भाषा के है ये लुसेंट जो सब पढ़ते है उसमें जवाब है। प्रश्न 60 का जवाब अगर पुरातत्व विभाग का साइट में बाड़ाहाट त्रिशूल का समय अलग देता है और आयोग ने दोनों जगह के लेख पर एक साथ पूछ रखा जबकि दोनो का समय अलग है।
इस संबंध में मैंने आयोग के सचिव संतोष बडोनी से पूछा तो उनका कहना था कि हो सकता है कि आंसर की में कुछ गड़बड़ियों हों। इसलिए हमने आपत्तियां मांगी हैं। ये आपत्तियां 14 दिसम्बर तक आनलाइन देनी होंगी। इसके बाद तीन एक्सपर्ट का पैनल आपत्तियों की जांच करेगा। यदि उत्तर गलत होगा तो आंसर की में बदलाव कर दिया जाएगा।
पूछ डाला गजब का सवाल
आयोग ने परीक्षा में एक प्रश्न में चित्र दिया है और पूछा है कि यह लाइनें कहां लिखी हैं। दरअसल, यह एक समाधि स्थल का पत्थर है जो कि फूलों की घाटी में है। सवाल यह है कि क्या इस तरह के सवाल पूछे जाने चाहिए। समाधियों की इबारत कौन याद रखता है। आयोग उम्मीदवारों से चाहता है कि उम्मीदवार प्रदेश भर की समाधि स्थलों का दौरा करें और एक-एक लाइन रट दें। क्या इस तरह के सवाल पूछना वाजिब है?
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]