- दाग अच्छे हैं, साढ़े चार साल के तुरंत धुल जाएंगे, सर्फ एक्सेल है न
- अच्छे दिन आ गये और बहुत अच्छे दिन अब आएंगे
जब मोदी जी चाय बेचते थे तो देश में पांच भाई साबुन था। फिर जब वो ट्रेन में चाय बेचने लगे तो वाशिंग पाउडर निरमा का जमाना आया। आज पीएम हैं तो दाग अच्छे हैं वाला सर्फ एक्सेल सिर्फ दस रुपये में और सफेदी की चमकार रिन की टिकिया। भीनी-भीनी खुशबू। नेताजी कई बार जानबूझकर कीचड़ में गिर जाते हैं। दलाली में मुंह काला करते हैं और फिर हैपीडेंट खाकर दांत दिखाते हैं कि दाग अच्छे हैं। खूब, अच्छे दिन आ गये।
26 दिसम्बर 2016 को मोदी जी देहरादून के परेड ग्राउंड में आए। जादू की छड़ी घुमाई और पूछा कि अच्छे दिन चाहिए या नहीं। जनता ने कहा, हां। तो कहा, लाओ डबल इंजन सरकार। आ गयी डबल इंजन सरकार। जादू हो गया, ठीक ऐसे जैसे पाइप्ड पीपर आफ हेमलिन की कथा के नायक ने बीन बजाई और शहर के सारे चूहे उसके पीछे हो गये। बीन बाजक ने चूहों को खाई में कूदने के लिए विवश कर दिया। साढ़े चार साल तक पहाड़ की कंदराओं और खाई से आवाजे आती रही, अच्छे दिन आ गये, अच्छे दिन आ गये।
साढ़े चार साल बाद अचानक मोदी जी को लगा कि जनता को और अच्छे दिन दिखाने चाहिए। इसलिए पुराना राजा बदला, नया राजा भी बदला और युवा राजा बना दिया। युवा राजा ने पहाड़ की कंदराओं और खाईयों में घोषणाओं की सीढ़ियां लगा दी। जनता को नींद की गोली दी और सपनों में जाकर बताया कि प्रदेश सोने का है। तुम सोने के पिजड़े में हो। खूब अच्छे दिन आ गये। जनता को एहसास कराया कि बागों में घूमो-फिरो, झूले डालो। हर महीने मन की बात सुनो। इसके बावजूद नींद टूटने पर जनता मरने लगी। युवा राजा परेशान, आखिर ये क्या हो रहा है? युवा राजा ने कहा, जनता तुम क्यों मर रही हो? सभी ऐशो-आराम तुम्हें दिया। सुनहरे सपने दिखाए। हर चेहरे पर मुस्कान का वादा किया है। 2025 तक प्रदेश को सबसे आगे ले जाने का लक्ष्य रखा है। फिर क्यों मर रही हो? मरती जनता ने कहा, ठीक है राजा, अच्छे दिन आ गये। सब अच्छा है, लेकिन जीने के लिए भोजन और काम चाहिए, वो तो दिया ही नहीं। आपने अपने मन की बात कही, हमारी कहां सुनी? भूखे कब तक रहते, सो मर रहे हैं।
मोदी जी ने 4 दिसम्बर को फिर देहरादून आना है। उम्मीद है कि वो 30 हजार करोड़ की विकास योजनाओं के लोकार्पण और शिलान्यास कर नेता, अफसर, ठेकेदार और दलालों को ठुकराते हुए यह रकम प्रदेश की 1 करोड़ 20 लाख (माइनस 10 हजार नेताओं) मरती जनता में बांट देंगे। तब हो सकता है कि मरती जनता में प्राण लौट आएं। पिछले छह माह में अरबों रुपये की जो विकास योजनाओं की घोषणा धामी सरकार ने की हैं यदि इस रकम का दस प्रतिशत भी जनता में बांट दिया जाएं तो पहाड़ आबाद हो जाएंगे और हर नागरिक खुशहाल। और सरकार को कुछ भी नहीं करना होगा। लेकिन नेताओं को तो सब्जबाग दिखाने हैं, वोट बटोरने हैं और योजनाओं का पैसा खुद ही हड़प जाना है फिर सर्फ एक्सेल से यह कहते हुए नहाना है कि दाग अच्छे हैं।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]