- आय से अधिक संपत्ति के आरोपी हैं गामा
- क्या भाजपा के पास मेयर कंडिडेट का अकाल है?
- सीएम धामी जी, कथनी और करनी में अंतर क्यों?
देहरादून नगर निगम के मेयर पद के लिए जहां कांग्रेस में कई दावेदार हैं तो वहां भाजपा की सुई घूम फिर कर फिर निवर्तमान मेयर सुनील उनियाल गामा पर अटक रही है। सुना है कि उनको दोबारा से चुनाव मैदान में उतारा जा रहा है। गामा का कार्यकाल विवादों से भरा रहा। उन पर आय से अधिक संपत्ति समेत कई आरोप लगे। उनके बयानों को लेकर मीडिया और सोशल मीडिया में खूब चर्चा हुई कि चाउमिन बेचकर या रेहड़ी लगाकर कोई कैसे सत्ता की चौखट पार कर सत्तासीन हो जाता है?
वैसे तो भाजपा में नेताओं का जमघट है। कांग्रेस के नामी-गिरामी से लेकर बचे-खुचे नेता भी भाजपा में है। भाजपा का विकास रथ नेताओं से खचाखच भरा हुआ है लेकिन भाजपा को एक अदद मेयर प्रत्याशी नहीं मिल रहा है। सीएम धामी बताएं कि क्या नेताओं का टोटा है या फिर चुनावी खर्च के लिए इंतजाम की कमी है। या फिर गामा ही इतने लोकप्रिय है कि विवादों की घंटी भले ही उनके गले में बजती रहे, लेकिन मेयर के टिकट की होड़ में वो सबसे आगे हैं।
बता दूं कि निर्वतमान मेयर गामा पर आय से अधिक संपत्ति के अनेक आरोप लगे। इसके अलावा उनके कार्यकाल में कई पत्रकारों को भी महीना बंधा हुआ मिलता था। मोहल्ला स्वच्छता समिति में गड़बड़ी भी उनके नेतृत्व में सामने आई है। इतना विवाद होन के बावजूद यदि गामा दोबारा से भाजपा के मेयर कंडीडेट बन रहे हैं तो भाजपा की कथनी और करनी में स्पष्ट अंतर नजर आता है कि भ्रष्टाचार पर जीरो टोलरेंस सरकार।
(वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार)