नेता और नौकरशाह बताएं अपनी अघोषित चल-अचल संपत्ति

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  • पौंधा की 300 बीघा जमीन का जिन्न फिर बाहर निकला
  • निःशंक के कालेज को लीज पर दी गई जमीन की भी हो जांच

सरकार का बुल्डोजर तैयार है। अतिक्रमण और गलत तरीके से जमीन हथियाने वाले लोगों पर कार्रवाई का सख्त ऐलान किया गया है। लेकिन जब बात नेताओं और नौकरशाहों की होेती है तो सरकार का धाकड़पन कहीं दुबक-सा जाता है। बाबा रामदेव और सतपाल महाराज उत्तराखंड के मूल निवासी हैं और सबसे अधिक भूमि यही खरीद सकते हैं। इनकी संपत्ति की जांच क्यों नहीं होती? किस साल कितनी और कहां-कहां जमीन खरीद रहे हैं। गणेश जोशी की जमीन का खुलासा उन्होंने खुद किया है, कुछ हुआ क्या? पौधा में तत्कालीन डीएम सोनिका के पति और देवर समेत 90 से अधिक नौकरशाहों के प्लाट को लेकर सवाल उठे, कुछ हुआ क्या? नहीं, केवल इतना हुआ कि इन मामलों को उजागर करने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट विकेश नेगी को जिला बदर कर दिया गया।
अब पूर्व सीएम निःशंक द्वारा हिमालय आयुर्वेद योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा संस्थान को फतेहपुर टांडा गांव स्थित सौंग नदी की भूमि खसरा नंबर 215/226/227/242/243/245 और 248/2 दी गई है, उस पर भी सवाल उठ रहे हैं कि क्या नदी की जमीन को विचलन पर मुफ्त दिया जा सकता है? क्या यह अतिक्रमण नहीं है?
केंद्र सरकार ने अपने शासनादेश में सभी नौकरशाहों और मंत्रियों को अपनी संपत्ति का ब्यौरा देने का आदेश दिया है। हर साल 31 जनवरी तक अचल संपत्ति का भी ब्योरा देना होता है। ऐसे में कितने नेता और नौकरशाह इस नियम का पालन कर रहे हैं। जरा देखें जरा, सख्त भू-कानून इन पर लागू होता है या नहीं। बाकी हरि इच्छा और जयश्रीराम।
(वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार)

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