- 5 साल पौधे को सींचते रहे किसान, अब माथा पकड़ लिया
- उद्यान विभाग का गजब का कारनामा, बगीचा बनाने का सपना चकनाचूर
हमारी सरकार किसानों की आय दोगुनी करने का दावा खूब करती है लेकिन सच बात यह है प्रदेश में कृषि और बागवानी दोनों ही विभागों में भ्रष्टाचार की फसल ही उग रही है। इसका ताजा उदाहरण रुद्रप्रयाग जिले के अगस्त्यमुनि के कुछ काश्तकारों से मिल जाएगा। इन काश्तकारों ने उद्यान विभाग से 2019-20 में कागजी नींबू की पौध ली। पौध को खेतों में लगाया और उनकी वर्षों देखभाल की। इस साल जब पेड़ पर फल लगे तो काश्तकारों ने सिर पीट लिया। यह नींबू नहीं जम्बीरी थे। जम्बीरी एक बहुत ही खट्टा फल होता है जिसे न तो मनुष्य खाते हैं और न ही जानवर।
मैंने इस संबंध में अग्स्त्यमुनि के काश्तकार बलसुंडी गाव के मनवर चौधरी से बात की तो बोले कि उन्होंने अगस्त्यमुनि उद्यान विभाग से 125 नींबू के पौधे लिए थे। इन पौधों को उन्होंने अपने 15-20 खेतों में लगाया और इनकी खूब परवरिश की। अब पता चल रहा है कि ये तो जम्बीरी है। वह बताते है कि उन्होंने ही बगल के गांव मानवेंद्र के लिए भी 125 पौधे लिए। वहां भी यही हाल है। कंडारा गांव की गणेशी देवी के साथ भी ऐसा ही हुआ।
यह गजब की बात है कि उद्यान विभाग किस नर्सरी से इस तरह के पौधे ले आया कि किसान ठगे गए। जबकि यह पौधे मान्यता नर्सरी से लिया जाता है। जांच की बात की जा रही है, नतीजा शून्य होगा। सूत्रों का कहना है कि यह नर्सरी एक वरिष्ठ नौकरशाह के साले की है। भगवान जाने नेता और नौकरशाह हमारे प्रदेश में कब तक यूं ही लूट-खसोट करते रहेंगे।
उद्यान विभाग के घोटालों की जांच तो सीबीआई भी कर रही है, लेकिन अब तक एक भी हार्टिकल्चर आफिसर जेल नहीं गया। इसका कारण है कि नर्सरी से लेकर सचिवालय और मंत्रालय तक भ्रष्टाचार की मजबूत जड़े जमीं हुई हैं और मौजूदा धाकड़ धामी सरकार उस पर खाद-पानी डाल रही है।
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(वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार)