- एनएच-74 घोटाले के आरोपी डीपी सिंह को क्लीन चिट देने पर सरकार की फजीहत
- ऊधमसिंह नगर के डीएम की भूमिका पर उठे सवाल
अदालत में धामी सरकार की एक बार फिर जमकर फजीहत हुई है। एनएच घोटाले की सुनवाई कर रही हल्द्वानी कोर्ट ने घोटाले के आरोपी डीपी सिंह को शासन द्वारा दी गई क्लीन चिट को खारिज कर दिया। यह धामी सरकार को जबरदस्त झटका है साथ ही यह भी पता चल रहा है कि धामी सरकार में किस तरह से भ्रष्टाचारियों को संरक्षण दिया जा रहा है। इधर, सैन्य धाम में अनियमितता का मामला, कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी की आय से अधिक का मामला, नगर निगम में सफाई कर्मियों का करोड़ों का घोटाला भी धामी सरकार के गले की फांस बन रहा है। निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक धामी सरकार की बार-बार फजीहत हो रही है। ‘दैणा हुयां खोली का गणेश‘ गाने, गले में नकली गुलबंद और पहाड़ी टोपी लगाने से प्रदेश की नौकरशाही में बदलाव नहीं आने वाला। इसके लिए सख्त कदम उठाने होंगे। कुछ तो साहस दिखाना होगा। सैन्य धाम मामले में भी सरकार की जल्द ही फजीहत होगी।
खैर बात करते हैं, पीसीएस अधिकारी डीपी सिंह की। डीपी सिंह नेशनल हाईवे-74 का प्रमुख आरोपी है। यह मामला लगभग 500 करोड़ का है। इस मामले में पुलिस ने साक्ष्य जुटाए और शासन से डीपी सिंह के खिलाफ केस चलाने की अनुमति मांगी। शासन ने दस्तावेज और साक्ष्यो के आधार पर केस चलाने की अनुमति दे दी। मामला कोर्ट में पहुंचा। चार्जशीट दाखिल हो गई। 4 गवाहों के बयान भी दर्ज हो गए। इसके बाद ऊधम सिंह नगर के डीएम शासन के एक पत्र के साथ अदालत में अपील करते हैं कि शासन ने डीपी सिंह को क्लीन चिट दे दी है तो उनके खिलाफ कार्रवाई रोक दें। कानून के जानकारों का कहना है कि ऊधम सिंह नगर के डीएम ने शासन के डाकिये का काम करना था लेकिन ओवरस्मार्टनेस में इस पत्र के साथ कुछ दस्तावेज लेकर गए कि अदालत ने जमकर फटकार लगाई।
बता दूं कि डीपी सिंह करोड़ों के इस घोटाले के मामले में जेल भी गया और इसके बाद जमानत पर छूट गया। जमानत पर छूटने के बाद चमत्कार हुआ और डीपी सिंह को सरकार ने इस मामले में क्लीन चिट दे दी। इस मामले में दो आईएएस भी सस्पेंड हुए थे और उनमें से एक आज की डेट में पंकज पांडे को लोक निर्माण विभाग का सचिव बनाया हुआ है। मामले की जांच ईडी भी कर रही है। क्योंकि इसमें करोड़ों रुपये की मनी लांड्रिंग भी हुई। इस मामले की सुनवाई हल्द्वानी की पी सी एक्ट की विशेष अदालत की जज नीलम रात्रा कर रही है।
23 सितंबर को जब मामले की सुनवाई हो रही थी तो शासन के अधिवक्ता ने डीपी सिंह संबंधी केस वापस लेने की याचिका दी। इसमें कहा गया है कि डीपी सिंह को इस मामले में शासन ने क्लीन चिट दी है और अदालत से अपील की डीपी सिंह के खिलाफ कार्रवाई रोक दी जाएं। इस अपील को अदालत ने खारिज कर दिया।
अदालत के इस आदेश की एक प्रति मेरे पास है। इसके पैरा 26 और 27 में अदालत ने कठोर टिप्पणी की है कि ऊधमसिंह नगर के डीएम की आड़ में पूरा शासन-प्रशासन ही आरोपी को बचाने में जुट गया है। अदालत में गवाही हो रही है और शासन केस वापस लेने की अपील कर रहा है। यह आरोपी को लाभ पहुंचाने का कृत्य है। सरकार के पास आरोपी के खिलाफ कार्रवाई को वापस लेने का अधिकार नहीं है।
अदालत ने 27 नंबर पैरा में कहा है कि विभागीय अनुशासनिक कार्रवाई सहानुभूति या भावनात्मक होती है। ऐसे में आरोपी के खिलाफ सबूतों और साक्ष्यों को अनदेखा कर दिया जाता है। ऐसे में अनुशासनिक कार्रवाई में बरी किया जाना संदेहजनक हो जाता है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि अमूमन भ्रष्टाचार के मामलों में कई अभियुक्तों के जमानत पर रिहा होने के उपरांत उनका विभाग उनके साथ बेहद नरमी से पेश आते हुए उन्हें पुनः उसी पद पर कई बार और अच्छे पद पर नौकरी पर वापस रख लिया जाता है और उसकी विभागीय जांच पूर्णतः प्रभावित होती है, क्योंकि तब जमानत पर रिहा हुआ ऐसा अधिकारी/कर्मचारी ऐसे पद का दुरूपयोग कर अपने साथी कर्मचारियों और वरिष्ठ कर्मचारियों तथा यदि वह अगर उच्च पद पर है तो वह पहुंच के अनुसार सरकार को भी अपने प्रभाव में लेकर अपने खिलाफ न्यायालय में लंबित सभी कार्यवाहियों को किसी न किसी प्रकार से वापस लेने की प्रयास करता है। अदालत ने कहा कि अभियुक्त वरिष्ठ पद पर कार्य कर रहा है। उसके खिलाफ आरोप हैं तो शासन दस्तावेजों की अनदेखी कैसे कर सकता है। अदालत ने अपने आदेश के पैरा 57 से लेकर 62 तक शासन की जमकर धुलाई की है।
गौरतलब है कि हरिद्वार से सितारगंज तक एनएच 74 के चौड़ीकरण में किसानों की जमीनों के फर्जी मुआवजे को लेकर 2018 में घोटाला सामने आया। इस घोटाले में सरकार को 500 करोड़ की चपत लगी और लगभग 15 करोड़ रुपये की मनी लांड्रिंग भी हुई। मामले की जांच सीबीआई और ईडी कर रहे हैं। डीपी सिंह को लेकर हल्द्वानी की विशेष अदालत के रुख ने अब इस केस को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है।
(वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार)