- क्यारकुली में वन भूमि पर कब्जा कर बस गए हजारों बाहरी
- नेता और अफसरों की मिलीभगत से हो रही वन भूमि खुर्द-बुर्द
चुनाव प्रचार के लिए झारखंड पहुंचे सीएम धामी वहां हो रहे डेमोग्राफी चेंज पर खूब हमलावर हो रहे हैं, लेकिन जब बात उत्तराखंड की होती है तो उस पर गहरी और खतरनाक चुप्पी है। देहरादून की धर्मपुर, सहसपुर, मसूरी, रायपुर, राजपुर, डोईवाला, हरिद्वार, सितारगंज, रुद्रपुर विधानसभा क्षेत्रों समेत पर्वतीय जिलों में भी डेमोग्राफिक चेंज हो रहा है। लेकिन भाजपा सरकार बंग्ला लोगों को ओबीसी आरक्षण देने पर जोर लगा रही है। सरकारी जमीन को खुर्द-बुर्द बिना प्रशासन, अफसरों और नेताओं की मिलीभगत से हो ही नहीं सकता, लेकिन यह देहरादून में ही हो रहा है।
ताजा मामला मसूरी के क्यारकुली भट्टा इलाके का है। आरटीआईआई एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी ने जिला अधिकारी को एक पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने खुलासा किया है कि मसूरी के क्यारकुली क्षेत्र की वन भूमि जो कि सरकारी है, उसे भू-माफिया और नेता खुर्द-बुर्द कर रहे हैं। इस सरकारी जमीन को खरीदा-बेचा जा रहा है। विकेश नेगी के मुताबिक देहरादून जिले की जमीन जिसका गजट नोटिफिकेशन 3 सितंबर 1953 को हुआ वन भूमि के तौर पर हुआ था। उस जमीन को भू-माफिया खुलेआम बेच रहे हैं या उस पर अतिक्रमण कर रहे हैं।
वन भूमि की यह जमीन क्लारकुली भट्टा, चलांग, अंबारी, डांडा जंगल आदि गांवों की है। यह जमीन यूपी गजट 11 अक्टूबर 1952 के अुनसार शेड्यूल 11 की है और पूरी तरह से संरक्षित भूमि है। इसे खरीदा या बेचा नहीं जा सकता है न ही भूमि को हस्तांतरित किया जा सकता है। मसूरी की इस जमीन पर इको टास्क फोर्स ने पौधरोपण अभियान भी चलाया था। राजस्व विभाग, वन, एमडीडीए इस भूमि की खरीद-फरोख्त पर चुप्पी साधे हैं।
वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार