एक सोशल इंजीनियर ऐसा भी, …जो तराश रहा नौनिहालों का भविष्य, समाज में बांट रहा खुशियां

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  • बच्चों के साथ मास्टर्स स्पोर्ट्स को नया आयाम दे रहे विपिन बलूनी

इन दिनों सोशल बलूनी पब्लिक स्कूल में सीबीएसई नार्थ जोन बाक्सिंग चौंपियनशिप चल रही है। इसमें उत्तरी भारत के विभिन्न स्कूलों से 600 खिलाड़ी भाग ले रहे हैं। कल दोपहर जब स्कूल पहुंचा तो कुछ महिलाएं बच्चों को खाना बांट रही थी। ये महिला वांलियटंर के तौर खुद ही खुशी से यह काम कर रही थी, क्योंकि उन्हें लगता है कि यह स्कूल उनका अपना है। ये महिलाएं कभी महज अपने घर की जिम्मेदारियां निभा रही थी। घर की चाहरदीवारी तक सीमित थी, लेकिन अब उन्हें यहां क्रिकेट, फुटबाल और बैडमिंटन खेलने को मिल रहा है। ग्रुप में घूमने और मनोरंजन का मौका मिल रहा है। इससे उनकी खुशियां बढ गई हैं।
सोशल इंजीनियरिंग के तहत इन महिलाओं के जीवन में खुशियों का संचार किया है बलूनी ग्रुप के एमडी विपिन बलूनी ने। यह भावना ऐसी ही नहीं आई, इसके पीछे एक विजन, सकारात्मक नेक सोच और समाज को स्वस्थ रखने का प्रयास है डा. नवीन बलूनी और एमडी विपिन बलूनी की। दरअसल, एमडी विपिन बलूनी ने कोरोना काल में स्कूल और अपने अन्य खेल मैदानों में मास्टर स्पोर्ट्स यानी 30 प्लस के पुरुष-महिलाओं के लिए विभिन्न खेल प्रतियोगिताएं आयोजित करनी शुरू की। अब इस अभियान में लगभग 500 पुरुष और महिलाएं विभिन्न खेलों से जुड़ चुकी हैं।
यह एक अभिनव प्रयास है। इसका उदाहरण मैंने प्रत्यक्ष देखा है। पौड़ी के प्रख्यात फुटबालर जगमोहन नेगी ‘जग्गी दादा‘ कैंसरग्रस्त हो गए। चौथी स्टेज थी और वह एसबीपीएस के मैदान में साथी खिलाड़ियों के मौजूद रहते थे। सात कीमो हो चुकी थी। असहनीय दर्द के बावजूद वह मैदान में क्यों आते हैं, मेरे यह पूछने पर बोले, फुटबाल ही तो जीवन है मेरा। यहां आकर जीने की ललक बढ़ जाती है। दर्द पर खुशी हावी हो जाती है। दुर्भाग्य से कैंसर जीत गया। लेकिन मौत से जंग लड़ रहे एक व्यक्ति के चेहरे पर खुशी देना मेरी नजर में सबसे बड़ा पुण्य है, और वह काम किया है एमडी विपिन बलूनी ने। यह सोशल इंजीनियरिंग का नायाब उदाहरण है।
एसबीपीएस ने खेलों में अपनी देश भर में विशिष्ट पहचान बना ली है। बलूनी ग्रुप मेडिकल और इंजीनियरिंग की कोंिचग भी दे रहा है और देश के विभिन्न शहरों में नौ स्कूल भी संचालित कर रहा है। एमडी विपिन बलूनी के पास सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों से गरीब प्रतिभावान बच्चे आते हैं तो उनमें से अधिकांश निःशुल्क पढ़ रहे होते हैं। बलूनी के द्वार पर आया कोई बच्चा या उसके अभिभावक निराश नहीं लौटते। व्यववसायिकता के बावजूद बलूनी ग्रुप में मानवता भी है।
कहते हैं कि वृक्ष पर जब फल लगते हैं तो वह झुक जाता है। बलूनी ग्रुप आज शिखर पर है, इसके बावजूद विपिन बलूनी का स्वभाव बेहद शांत और मधुर है। वह किसी से भी आत्मीयता से मिलते हैं। हर किसी को खुश नहीं रखा जा सकता है लेकिन उनका प्रयास होता है कि वह किसी के भी चेहरे पर खुशी ला सकें। मृदुभाषी, सरल, सहज और सहृदयी विपिन बलूनी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामना।
(वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार)

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