ओ चीनियों, गणेश दा का शुक्रिया अदा करो

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  • यदि वो फौज में होते तो शंघाई और बीजिंग इंडिया का हिस्सा होता!

गणेश दा पर पत्थर मारो, वो फूल बन जाते हैं। वो तो चीन की किस्मत अच्छी है कि गणेश दा ने गढ़वाल राइफल्स छोड़ दी, नहीं तो उसकी खैर नहीं थी। हो सकता था कि वो अकेले ही बीजिंग तक कब्जा कर लेते। चीनी उन पर गोलियां बरसाते और वो फूल बन जाती। खैर, अब वो हमारे माननीय मंत्री हैं। लोगों का क्या है, आरोप लगाते ही रहते हैं। गणेश दा की खुशी और सुख किसी को बर्दाश्त नहीं। जलते हैं जलकुकड़े।
ये जो पत्थर फेंकने की बात है, दरअसल वो आरोपों के पत्थर की बात है। गणेश दा पर कभी शक्तिमान घोड़े को मारने के आरोप लगे तो कभी कोरोना घोटाले के, और अब उनकी गाढ़ी मेहनत की कमाई पर भी लोगों की बुरी नजर है। देखना, गणेश दा इस आरोप से भी लाभ ही होगा। 17 साल की कमाई केवल मात्र 9 करोड़ ही तो है। कई माननीय तो पांच साल में इससे कई गुणा अधिक कमा लेते हैं।
गणेश दा के दो विभागों बागवानी और सैन्य धाम में अनियमिता का मामला सीबीआई के पास गया। बागवानी में तो सीबीआई जांच चल रही है और सैन्य धाम में सीबीआई ने चीफ सेकेट्री को जांच के लिए कहा है। देखना, दोनों में साफ बच निकलेंगे और फिर जमकर निखरेंगे। हो सकता है कि अगले सीएम गणेश दा ही हों। बहुत ही सीधे, सच्चे और सरल हृदय के गणेश दा अगला विधानसभा चुनाव हर हाल में 20 हजार वोटों से भी अधिक वोटों से जीतेंगे।
मेरी तो धाकड़ धामी से मांग है कि गणेश दा को प्रदेश का सबसे ईमानदार नेता घोषित किया जाए और परेड ग्राउंड में उनका नागरिक अभिनंदन किया जाए।

https://www.facebook.com/gunanand.jakhmola/videos/7923840594412095

(वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार)

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