हिमाचल में दल-बदलुओं को नहीं मिलेगी पेंशन

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  • सीएम धामी आप भी कुछ ऐसा करो कि नजीर बने
  • स्पीकर रितु तो दो साल से दबा कर बैठी है दल-बदल की शिकायत

अपने पड़ोसी राज्य हिमाचल में एक सराहनीय कदम उठाया गया है। दल-बदलू विधायकों को अयोग्य ठहराने पर पेंशन भी नहीं मिलेगी। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा पेश हिमाचल प्रदेश विधानसभा (सदस्यों के भत्ते और पेंशन) संशोधन विधेयक 2024 में कहा गया है कि अयोग्य घोषित कोई भी सदस्य अपनी पेंशन पात्रता खो देगा। इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य पेंशन रोककर विधायकों को दल बदलने से रोकना है।
इधर, अपने प्रदेश में बुरा हाल है। विधायक राजेंद्र भंडारी लोकसभा चुनाव से पहले एक घंटे में उसी ड्रेस में जिसे पहन कर वो भाजपा को पानी पी-पीकर कोस रहे थे, बिना कपड़े बदले भाजपा की नाव में सवार हो गए और डूब गए। अब लापतागंज में घूम रहे हैं। चलो, डूबने से पहले राजू ने इस्तीफा दिया तो नहीं तो स्पीकर रितु खंडूड़ी उसे दल-बदल मानती भी या नहीं। शायद हृदय परिवर्तन बताती। पिछले दो साल से स्पीकर तय नहीं कर पाई हैं कि विधायक उमेश कुमार ने दल बदला या नहीं। कितनी रिसर्च करनी होगी या संविधान की दसवीं अनुसूची की जानकारी कहां से लेनी होगी?
स्पीकर को लीगल एडवाइजर की सुविधा मिलती है या नहीं। शायद नहीं, यदि मिलती तो उन्हें पता होता कि स्पीकर किसी दल की सदस्यता नहीं ले सकता। लेकिन उन्होंने दो दिन पहले ही भाजपा की सदस्यता ली और ढिंढोरा पीटा। यानी पद की गरिमा ही नहीं रखी। न ही वो आज तक ये तय कर पाई हैं कि विधानसभा सचिवालय में बैक डोर इंट्री जिन पूर्व स्पीकर महोदय यानी प्रेमचंद अग्रवाल और गोविंद कुंजवाल ने की थी, उन्हें दोषी मानें या क्लीन चिट दे दें। इससे स्पीकर ऋतु खंडूडी की क्षमताओं पर सवालिया निशान लग रहे हैं। मजेदार बात है कि इसके बावजूद कुछ भाजपाई समर्थक उन्हें सीएम पद का बड़ा दावेदार मान रहे हैं।
(वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार)

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