आईटीएम: यहां सपनों को मिलते हैं पंख

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  • अपनी माटी और थाती को समर्पित हैं चेयरमैन निशांत थपलियाल
  • दूरदर्शी सोच और मेहनत ला रही रंग, 100 प्रतिशत प्लेसमेंट

वर्ष 2002। मूल रूप से पौड़ी के खातस्यूं श्रीकोट निवासी निशांत थपलियाल ने देहरादून के दिल यानी चकराता रोड पर स्थित दून स्कूल के सामने एक छोटी सी पहल की। निशांत प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों को भी जानते हैं और यहां के लोगों की आर्थिकी को भी। निशांत ने उस दौर में भी महसूस कर लिया था कि मौजूदा समय तकनीक और प्रबंधन का होगा। वह चाहते थे कि पहाड़ के युवा स्किल्ड हों और बाजार की मांग के अनुरूप शिक्षित। निशांत ने पहाड़ के युवाओं को स्किल्ड बनाने के सपने को मूर्त रूप देने के लिए नाम दिया, इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट यानी आईटीएम। दिन-रात खूब मेहनत की। बाजार की मांग को समझा और अपने छात्रों को उसके अनुरूप शिक्षा दी। चेयरमैन निशांत थपलियाल की मेहनत रंग लाई और आज आईटीएम न केवल एक विश्वसनीय ब्रांड है, बल्कि अपने छात्रों को सौ प्रतिशत रोजगार देने वाला संस्थान भी।
चेयरमैन निशांत थपलियाल का कहना है कि उनका प्राफिट संस्थान के छात्रों के भविष्य में निहित है। यदि छात्रों का भविष्य सुधरता है तो यही आईटीएम की कमाई है। अपनी दूरदर्शी सोच, पहाड़ की चिन्ता और युवाओं को तराशने के लिए आईटीएम में हर साल नये प्रयोग होते हैं। यहां शिक्षा व्यापार नहीं है। यहां देश और प्रदेश को कुशल प्रशिक्षित और अच्छे नागरिक देने के लिए क्वालिटी एजूकेशन और संस्कार दिये जाते हैं। आईटीएम में बीएससी आईटी, एमएससी आईटी, बीएससी एनीमेशन, एमएससी एनीमेशन और मल्टीमीडिया, बीएससी कंप्यूटर साइंस, बीकाम, एम.काम, बीएफए, बी. लिब, एम.लिब, बीए मास कम्युनिकेशन, बीएचएम, डीएचएम कोर्स संचालित किये जा रहे हैं।
आईटीएम में डिजिटल बोर्ड युक्त स्मार्ट क्लासेस, वाई-फाई सुविधायुक्त कैंपस, अत्याधुनिक लैब, आडोटोरियम, लाइब्रेरी, ई-लाइब्रेरी, अनुभवी फैकल्टी और पढ़ाई के लिए घर जैसा वातावरण है। यहां बच्चों को कम फीस पर शिक्षा दी जाती है लेकिन परसनेल्टी डिवलपमेंट, इंग्लिश स्पीकिंग और स्किल्ड बनाने के लिए कौशल प्रशिक्षण नि:शुल्क दिया जाता है। छात्रों के चहुंमुखी विकास के लिए सेमिनार होते हैं और बाजार की मांग के अनुरूप नये-नये कोर्स डिजाइन होते हैं। छात्रों को इस तरह से प्रशिक्षित किया जाता है कि कंपनी जब उनको हायर करें तो वह पहले दिन से ही आउट पुट दे सकें। यही कारण है कि पिछले कई साल से आईटीएम में 100 प्रतिशत प्लेसमेंट होता है।
चेयरमैन निशांत थपलियाल पहाड़ की पीड़ा और अभावों को जानते हैं। उनका प्रयास है कि आईटीएम वोकेशनल, टेक्नीकल और प्रबंधन शिक्षा का एक हब बने, इसके लिए वह निरंतर प्रयास में जुटे हुए हैं। उनके यहां कई गरीब प्रतिभावान छात्र नि:शुल्क शिक्षा हासिल कर रहे हैं।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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