सामान बेचता था, अब खोल दिया नर्सिंग कालेज

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  • मां अम्बे इंस्टीट्यूट ऑफ़ नर्सिंग एंड पैरामेडिकल साइंस अल्मोड़ा का मामला
  • डीपी में लगाए घूमता है पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत की फोटो

राजस्थान निवासी संदीप सिंह अल्मोड़ा में मां अम्बे इंस्टीट्यूट ऑफ़ नर्सिंग एंड पैरामेडिकल साइंस चला रहा है। यह संस्थान किराये के भवन में चल रहा है। क्या इस कालेज ने नर्सिंग कालेज मानक पूरे किये हैं, यह बड़ा सवाल है। यदि यहां मानक पूरे नहीं हैं तो फिर इस कालेज को कैसे मान्यता मिल गयी? बताया जाता है कि संदीप सिंह नर्सिंग कालेज के प्रिंसिपल रामकुमार शर्मा का नजदीकी है। संदीप सिंह नर्सिंग कालेजों को लैब का सामान बेचता था, बाद में खुद का नर्सिंग कालेज खोल दिया। उसके कालेज में नर्सिंग में जीएनएम और पीजी नर्सिंग की भी अनुमति दी गयी है। संदीप अपनी डीपी में पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत की फोटो लगाए रहता है। उन्हें अपना गुरु मानता है। अब त्रिवेंद्र चचा बताएं कि हाकिम की तरह ही संदीप उनका शिष्य है या नहीं।
स्वास्थ्य मंत्री डा. धन सिंह ने नर्सिंग कालेजों को मान्यता दिये जाने के मामले की जांच के आदेश दिये हैं। यह बड़ा सवाल है कि शासन की मान्यता देने वाली समिति में हर बार रामकुमार को सदस्य के तौर पर शामिल क्यों किया जाता है? क्या प्रदेश में अन्य प्रिंसीपल नहीं हैं। रामकुमार से भी अधिक सीनियर प्रिंसीपल हैं, लेकिन जुगाड़वाद का जमाना है, उनकी कौन सुने?
सूत्रों के अनुसार प्रदेश में लगभग एक दर्जन से भी अधिक नर्सिंग कालेज ऐसे हैं जिनको नियमों को ताक पर रखकर मान्यता दे दी गयी है। नियमों के तहत नर्सिंग कालेज संचालित करने के लिए 23200 वर्ग फुट शैक्षिक ब्लाक होना चाहिए। इसके अलावा 21100 वर्ग फुट हॉस्टल होना चाहिए यानी कुल 44 हजार 300 वर्ग फीट जगह होनी चाहिए। अल्मोड़ा का नर्सिंग कालेज इस मानक पर क्या खरा उतरता है। अब यह सवाल है कि आगे होगा क्या? क्या जांच भी रामकुमार शर्मा को सौंपी जाएगी? यदि हां तो फिर मानक जरूर पूरे ही होंगे। रिपोर्ट यही बताएगी। इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। आरोपी को ही जज बना दिया जाएगा तो जांच सही कैसे होगी?
इस संबंध में मैंने अल्मोड़ा में नर्सिंग कालेज चला रहे संदीप सिंह से बात की तो उन्होंने कहा कि वह नियमों के तहत ही कालेज चला रहे हैं। भवन के लिए जमीन खरीद ली है, जल्द ही भवन निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

वीरेंद्र और आनंद धरना स्थल पर से आने से कतराते थे!

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