- मुबारक हो, सत्य फिर पराजित हो गया
- न जनता बोली, न पुलिस और न ही सरकार
क्या दून अस्पताल के डाक्टर क्रिकेट के कलंक नरेंद्र शाह से मिले हुए थे। या उन पर दबाब था। किस तरह का और कितनी मात्रा में खाया था जहर। लैब रिपोर्ट्स, जहर के प्रकार के खुलासे की जरूरत। कहीं साजिशन एडमिट तो नहीं हुआ था शाह, ताकि कानूनी कुचक्र रच सके? क्या नरेंद्र शाह ने सीएयू के उन पदाधिकारियों को ब्लैकमेल किया कि भांडा फोड़ दूंगा यदि बचाया नहीं तो?
इस मामले में समाज की चुप्पी ठीक नहीं। यौन शोषण की शिकार तीनों लड़कियां भले ही गांव लौट गयी हों, लेकिन अभी क्रिकेट खेल रही दर्जनों लड़कियों की सुरक्षा खतरे में है। पुलिस-प्रशासन और सीएयू की मिलीभगत उत्तराखंड के क्रिकेट का ही नहीं, पहाड़ की बेटियों के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ कर रही है। इस मामले की उच्चस्तरीय जांच जरूरी है।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]