प्रतिभा से सीखें, मुसीबतों से कैसे लड़ें?

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  • थाइराइड की बीमारी से थी ग्रस्त
  • 16 महीने की मेहनत और बन गयी चैंपियन बॉडी बिल्डर

आज सोशल बलूनी पब्लिक स्कूल में नये शैक्षणिक स़त्र की शुरुआत हुई। इसमें 60 साल से अधिक उम्र के खिलाड़ियों ने फुटबाल मैच खेला। तीन पीढ़ियां इस मैच की गवाह रही। मैच खेल रहे दादाजी, बच्चे और उनके अभिभावक। एमडी विपिन बलूनी के अनुसार यह संदेश देने का प्रयास किया गया था कि खेलों से शरीर स्वस्थ रहता है। इसके अलावा नेशनल बाडी बिल्डर प्रतिभा थपलियाल और लेफ्टिनेंट ज्योति नैनवाल को मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाया गया था ताकि महिला सशक्तीकरण का संदेश भी जाएं।
खैर, प्रतिभा के साथ फुटबाल खिलाड़ी हों, टीचर्स हों या स्कूली बच्चे। विशेषकर लड़कियों ने उनके साथ फोटो खिंचवाई। दरअसल प्रतिभा ने साबित किया कि परिस्थितियां तो विपरीत ही होती हैं उन्हें अनुकूल बनाना पड़ता है। दो बच्चों की मां प्रतिभा थाइरायड से ग्रसित थी। जिम किया, पति भूपेश ने साथ दिया और महज 16 महीनों की कठिन मेहनत के बाद प्रतिभा बॉडी बिल्डर बन गयी। मार्च महीने में उन्होंने एमपी के रतलाम में आयोजित नेशनल लेवल पर सीनियर वीमैन बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिता में गोल्ड मैडल जीता। वह प्रदेश की पहली महिला बॉडी बिल्डर हैं जो नेशनल लेवल पर गोल्ड मेडल जीती हैं।
प्रतिभा शादी से पहले वालीबॉल की अच्छी प्लेयर थी और उत्तराखंड टीम की कप्तान भी रही। सबसे अहम बात यह है कि उनके कोच ने उन्हें कहा कि थाइरायड हो गया तो वह बॉडी बिल्डर नहीं बन सकती। लेकिन उनके पति भूपेश ने मदद की और आज प्रतिभा नेशनल चैंपियन है। प्रतिभा अब एशियन और वर्ल्ड चैंपियनशिप की तैयारी कर रही है। प्रतिभा को नये लक्ष्य के लिए शुभकामना। ऐसी मेहनतकश और जुझारू प्रतिभा को सैल्यूट तो बनता है।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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