- पहले की सरहदों की रक्षा, अब संवार रहा गांव की तकदीर
- रिवर्स माइग्रेशन की मिसाल हैं कर्नल यशपाल नेगी
कल दोपहर डीडी न्यूज में एक बजे का बुलटिन तैयार कर रहा था कि अचानक ही कर्नल (रि.) यशपाल नेगी का फोन आ गया, मिलना है। मुझे खुशी हुई। एक सच्चा वीर सपूत जिसने अपना जीवन पहले देश को समर्पित किया और अब वह पहाड़ में अपने गांव की तस्वीर और तकदीर बदलने की कोशिश कर रहा है।
कर्नल नेगी से न्यूज रूम में ही मुलाकात की। वह बहुत गर्मजोशी से मिले। पौड़ी के वीरोंखाल ब्लाक के बिरगाणा गांव के निवासी कर्नल नेगी को विरासत में देशसेवा मिली। उनके पिता स्व. उम्मेद सिंह नेगी भी सेना में थे और बेटा संजय भी सीआरपीएफ में इंस्पेक्टर है। कर्नल नेगी कितने जुझारू और मेहनती हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लग सकता है कि वह सेना में सिपाही के पद पर गये और इसके बाद एसएसबी पास करने के बाद अफसर बने।
रिटायरमेंट के बाद कर्नल नेगी ने अपनी पत्नी बीना नेगी के साथ मिलकर गांव में रहकर बंजर खेतों का आबाद करने का काम किया है। अपने हाथों में पड़े छालों को दिखाते हुए वह कहते हैं कि खूब मेहनत कर रहा हूं। अदरक समेत कई नकदी फसल उगा रहे हैं। हालांकि उनके गांव में सबसे बड़ी समस्या पानी की है। उनकी पत्नी बीना नेगी भी उनका हर कदम पर साथ दे रही हैं। कर्नल गांव के बच्चों को भी पढ़ाते हैं और उनको करियर काउंसिलिंग भी देते हैं।
आज जब अधिकांश सभी फौजी अफसर रिटायरमेंट के बाद दिल्ली, हल्द्वानी या देहरादून में तंबोला या गोल्फ खेलकर टाइम पास कर रहे हैं यह कर्नल गांव में कुदाल, फावड़ा और गैंती चलाकर बंजर खेतों को आबाद कर रहा है। ऐसे जुझारू, मेहनती और पहाड़ के लिए समर्पित कर्नल को दिल से सैल्यूट।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]