- यह कैसी खेल नीति, खिलाडियों को प्रोत्साहन पर नौकरी नहीं
- खेल कोटा न होने से प्रतिभावान खिलाड़ियों का पलायन जारी
- नेता रिश्वत और कमीशन में व्यस्त, खेल प्रतिभाएं त्रस्त
उत्तराखंड की बेटी मानसी नेगी ने तमिलनाडु में आयोजित 82वें आल इंडिया अंतर विश्वविद्यालय एथेलिटिक मीट 2023 में 20 किमी रेस वॉक में स्वर्ण पदक जीता। मानसी राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश के लिए कई गोल्ड मेडल ला चुकी है। लेकिन सरकार ने उसे बदले में क्या दिया? दो लाख। वह भी सीएम धामी ने दिये। प्रदेश सरकार को लगा कि अब उसने मानसी की बड़ी मदद कर दी। जबकि हर दो महीने में मानसी के शूज (स्पाइक) टूट जाते हैं। यह शूज 15 से 20 हजार रुपये के आते हैं। इसके अलावा डाइट और प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए अन्य खर्चे भी होते हैं।
मानसी नेगी चमोली जिले की बेहद साधारण घर से है। उसके पिता नहीं है और मां गांव में रहती है। भाई गौरव भी अभी कोई काम नहीं करता। मानसी की मदद के लिए सीआईएमएस के चेयरमैन ललित जोशी आए और पीजा इटालिया की शिल्पा भट्ट बहुगुणा ने उसको अपना ब्रांड एम्बेसडर बनाया। शिल्पा ने उसके शूज को स्पांसर्ड किया है। पहाड़ की एक बेटी ने दूसरी बेटी का दर्द समझा और उसकी मदद के लिए हाथ बढ़ाए, लेकिन सरकार ने क्या किया? सीएम ने दो लाख दिये और अपना प्रचार कर दिया। डीजीपी अशोक कुमार ने तो फ्री में ही वाहवाही बटोर दी।
मानसी को एक अदद सरकारी नौकरी की जरूरत थी। लेकिन वह नौकरी तो हाकिम और उसके हाकिम ने बेच खाई है। स्पोर्ट्स कोटे से भर्ती वर्षों से रुकी हैं। सीएम धामी और खेल मंत्री रेखा आर्य भले ही लाख दावे करें कि नई खेल नीति बना दी है। खिलाड़ियों का भत्ता बढ़ा दिया। अवसर बढ़ा दिये। ठीक है आपने सबकुछ कर दिया। पर खिलाड़ियों को सही मंच और उनके जीवनयापन के लिए क्या किया? जीरो। जब खिलाड़ियों को नौकरी नहीं दे रहे हो तो वह पलायन करेंगे ही। मानसी अभी बंगलुरू में नेशनल कैंप में है।
मानसी नेगी ने सीएम और डीजीपी से भी स्पोर्ट्स कोटे से भर्ती की बात की थी। लेकिन हमारी सरकार तो अवसरवादी हैं। यहां भला किसी की क्यों सुनी जाएगी? सच बात तो यह है कि सरकार अपने ही ‘खेल‘ में व्यस्त है। मानसी को एक अदद अच्छी नौकरी की दरकरार है ताकि वह प्रदेश और देश के लिए अच्छा प्रदर्शन कर सके। प्रदेश़ के कितने ही अच्छे खिलाड़ी पलायन कर रहे हैं, लेकिन प्रदेश सरकार के कान में जूं नहीं रेंग रही।
मानसी के अनुसार प्रदेश से निराश वह भी अब कई जगह नौकरी के प्रयास कर रही है। उम्मीद है कि जल्द उसे नौकरी मिल जाएगी। यदि मानसी को प्रदेश से बाहर नौकरी मिलती है तो सरकार को उसकी उपलब्धियों पर अपना गुणगान करने का कोई अधिकार नहीं होगा। मानसी को उसकी एक और उपलब्धि पर बधाई और उज्ज्वल भविष्य की कामना।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]