- यहां की सरकार बहुत सुंदर है, लूट रही है तो लुट जाओ!
युवाओ मान जाओ, मित्र पुलिस है। पुलिस कह रही है तो गांधी पार्क के धरने से उठ जाओ। सरकार बहुत सुंदर है और सुंदरता की बदौलत चल रही है। सुंदरता प्रदेश को लूट रही है तो लुट जाओ। सुंदर सरकार भी यही चाहती है। सब खामोश हो जाओ। गला भी काट दे तो मत चिल्लाओ, क्योंकि सुंदरता पर मरना तो बनता है। तो युवाओ, सुंदरता के पीछे दीवाने हो जाओ, बर्बाद हो जाओ। क्या रखा है नौकरी मांगने में, नौकरियां तो बिकती ही थीं, हैं और बिकती रहेंगी।
मान जाओ, नौकरी तो मिलेगी ही। सरकारी न सही तो प्राइवेट ही। मिलेगी जरूर। वैलेंटाइन वीक चल रहा है। जहां तुम धरना दे रहे हो, उसके कुछ दूरी पर मैक्डी है, उसके नुक्कड़ पर गुलदस्ते वाला है। वहां जाओ, एक-एक गुलाब लो और जिसकी है, महबूबा को वह गुलाब दे दो। वह खुश हो जाएगी। यदि सच्ची मोहब्बत होगी तो उसे तुम्हारी नौकरी की परवाह नहीं होगी। जिसकी नहीं है, तलाश लो, लेकिन देर रात हो गयी है। घर जाओ।
सुबह से ही धरने पर बैठे हो, सर्द रात और मोहब्बत का वीक है। हाकिम, प्रेमचंद, कुंजवाल, धारीवाल जैसे सुंदर लुटेरे बैठे हैं और सुंदरता जब लुटेरी दुल्हन बन जाएं तो फिर कौन बच सकता है? मुनि विश्वामित्र बचे क्या? फिर तुम क्या हो? लुटना चाहते हो तो लुट जाओ, यहां की बहुत सुंदर है सरकार। धाकड़ है। घर जाओ। नये सिरे से मंथन करो, तय करो, प्यार करोगे या आंदोलन।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]