- ऐसी योग्य पत्नियों को भी नौकरी मिलनी ही चाहिए
- कविता और नगर निगम में भुतहा कर्मचारी पत्रकार की पत्नी को महिला दिवस पर किया जाए सम्मानित
हर सफल आदमी के पीछे किसी महिला का हाथ होता है। सुबह से ही सोशल मीडिया पर किसी सोलंकी की पत्नी का लिखा पत्र वायरल हो रहा है। सोलंकी की पत्नी ने पति के लिए नौकरी मांग ली तो क्या गजब कर दिया? बुरा क्या किया? सोलंकी की पत्नी इतनी इटेलीजेंट है कि ग्रेड पे के साथ नौकरी मांग रही है। यदि नौकरी दी, सही किया। सावित्री ने यमराज से सत्यवान के प्राण वापस मांग लिए थे तो क्या कविता अपने पति के लिए एक अदनी सी नौकरी नहीं मांग सकती?
मैं तो कहता हूं कि आठ मार्च को महिला दिवस के दिन कविता को उत्तराखंड सरकार सम्मानित करे ताकि अन्य पत्नियों को प्रोत्साहन मिले कि वह भी ऐसी मांग करें। यह समय की जरूरत है। डीजीपी अशोक कुमार ही ऐसे कठोर हृदय निकले, जिन्होंने ग्रेड पे की मांग कर रही पुलिसकर्मियों की पत्नियों की मांग को नकार दिया और पतियों को सस्पेंड कर दिया।
इधर, अपने एक पत्रकार साथी की पत्नी को जब लगा कि अखबार का लाला साल भर में दो-ढाई हजार से अधिक नहीं बढ़ा रहा है तो पत्नी ने नगर निगम की भुतहा नौकरी कर पति का हाथ बंटाना शुरू कर दिया। पत्रकार की पत्नी इतनी मासूम निकली कि उसे न पद का पता है और न ही वेतन का, लेकिन गर्व है कि ऐसी पत्नी भी है जो घर खर्च में पति का हाथ बंटा रही है। कई नेताओं की पत्नियां एनजीओ चला कर अपने पतियों की मदद कर रही हैं। यदि पति रिश्वत नहीं ले पा रहा तो वह एनजीओ को आगे कर देती हैं। ऐसी पतिव्रताओं पर हम सबको नाज होना चाहिए।
कई अफसरों की पत्नियों अपने पति को रोज प्रोत्साहित करती हैं कि घर जल्दी क्यों आए, आज रिश्वत कम क्यों ली? मेरा तो कहना है कि कविता और लाला के अखबार में नौकरी करने वाले पत्रकार की पत्नी को इस बार राजकीय सम्मान मिलना चाहिए। ऐसी पत्नियों पर गर्व क्यों न हो?
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]