स्कूल प्रेसीडेंट हो तो ऐसा, गजब के हैं रजनीश जुयाल

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  • मार्शल स्कूल के प्रेसीडेंट हैं, बेबाक और स्पष्ट वक्ता
  • नैतिकता, संस्कारों के साथ हो आधुनिकता की दौड़

देहरादून के मार्शल स्कूल में गत दिनों महिला आरक्षण को लेकर एक डिबेट थी। वहां सोशल एक्टिविस्ट प्रेम बहुखंडी डिबेट के जज थे। डिबेट के बाद रिजल्ट तैयार हो रहा था तो इस बीच स्कूल के प्रेसीडेंट रजनीश जुयाल (अंग्रेजी में जयाल) डायस पर पहुंचे। उन्होंने देहरादून के आए कई स्कूलों के बच्चों को जिस प्रकार संबोधित किया वह लाजवाब था। मैं दून और देश के कई प्रतिष्ठित स्कूलों में गया हूं, लेकिन मैंने स्कूल मैनेजमेंट के किसी बड़े पदाधिकारी को इस तरह से बेबाकी से बोलते नहीं सुना।
रजनीश जुयाल ने बच्चों से पूछा कि कितने बच्चे अंकिता भंडारी के बारे में जानते हैं? किरन नेगी के बारे में जानते हैं? इन दोनों की हत्या कर दी गयी? सजा क्या हुई? जांच कहां चल रही है? अंकिता के माता-पिता सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं तो क्यों नहीं सीबीआई जांच हो रही है? जबकि ऊधम सिंह नगर के एक मामले में तुरंत जांच सीबीआई को सौंप दी गयी। उन्होंने बच्चों से कहा कि किरन और अंकिता दोनों ही महिला सशक्तीकरण की पहचान थे, लेकिन बेरहमी से कत्ल कर दिये गये। दोनों आप लोगों की हमउम्र थी। महज 19 साल की। इनको इंसाफ क्यों नहीं मिला।
रजनीश ने कहा कि संसद में राजनीति में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण बिल कई साल से लटका है। क्यों? क्यों नहीं विधानसभा में भी यही व्यवस्था हो? रजनीश जुयाल ने कुल मिलाकर मौजूदा व्यवस्था को धो डाला। उन्होंने छात्र-छात्राओं को सम-सामयिक विषयों पर जागरूक रहने की सीख दी। मैं महज यह कहना चाहता हूं कि हर स्कूल यदि क्वालिटी एजूकेशन के साथ ही छात्रों को जीवन मूल्यों की सीख दे और उन्हें समाज में होने वाली घटनाओं के प्रति संवेदनशील बनने की सीख दें तो हम बेहतर समाज और बेहतर देश निर्माण कर सकते हैं।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

त्रिवेंद्र सिंह रावत बनाम उमेश कुमार

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