कुछ विधायकों ने अनुपूरक बजट सत्र गैरसैंण में आयोजित नहीं करने के लिए पत्र लिखा है। इसके तीन कारण हो सकते हैं। पहला कारण वो विधायक दारू नहीं पीते होंगे। दारू न पीने वाले लोग गैरसैंण की ठंड का अंदाजा नहीं लगा सकते। कंकरीली ठंडी हवा टोपी के नीचे से भी सिर में घुस जाती है। दूसरी बात, जरूर ये विधायक रोज नहाते होंगे। सर्दियों में गैरसैंण में नहाना मतलब शरीर का कुल्फी में तब्दील हो जाना। बाकी मंत्री-विधायक तो पहाड़ी ही हैं वो देहरादून में ही रोज नहीं नहाते होंगे तो वहां क्या नहाएंगे? फिर तीसरी और अहम बात, जो गैरसैंण तो नेताओं के सैर-सपाटे के लिए बना है। यहां सत्र गर्मियों में होना चाहिए। सर्दियों में सैर-सपाटे में करोड़ों का खर्च वह भी उत्तराखंड जैसे गरीब राज्य के लिए ठीक नहीं है। ऐसे में जो विधायक गैरसैंण में सत्र का विरोध कर रहे हैं उनका सम्मान करें।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]
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