- 22 अफसरों ने कहा, डा. हरमेंदर बबेजा के साथ नहीं करेंगे काम
- सचिव को लिखा पत्र, उद्यान विभाग में भी भ्रष्टाचार का लंबा खेल
इन दिनों उद्यान निदेशक डा. हरमेंदर बबेजा संकट में हैं। उन पर भ्रष्टाचार का आरोप है। अब विभाग के 22 अफसरों ने भी उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पता नहीं उद्यान विभाग में बाकी सब कुछ होता है सिवाए औद्योनिकी के।
तीन-चार दिन पहले उद्यान विभाग के एक पूर्व डायरेक्टर से मिला। वह बेहद ईमानदार और पहाड़ के प्रति समर्पित हैं। जब उन्होंने हार्टिकल्चर की कमान संभाली तो उन्होंने देखा कि अदरक और लहसुन के टेंडर हो रहे हैं। दूसरे प्रदेशों से अदरक और लहसुन टेंडर के जरिए खरीदा जा रहा है। जबकि उत्तराखंड में अदरक और लहसुन की कोई कमी नहीं है। न बीज की और न ही उत्पाद की। इसलिए उन्होंने अदरक और लहसुन के टेंडर पर रोक लगा दी। बस, यह फैसला ही उनके लिए मुसीबत का सबब बन गया। क्योंकि बताया जाता है कि इन टेंडर में सीधे तौर 3 करोड़ का खेल है सत्ता और नौकरशाही में बंटता है।
इस बीच तत्कालीन कृषि मंत्री ने उन्हें उगाही का टारगेट दे दिया। जब वह इसकी शिकायत लेकर तत्कालीन सीएम तक पहुंचे तो उनके पीए ने भी डायरेक्टर को सलाह दे डाली कि इस पद पर भी तो कुछ देकर बैठे होंगे। फिर क्यों नहीं देते? अच्छे खासे सेंटल में बड़े पद पर तैनात रहे डायरेक्टर साहब फंस गये। दो साल के अनुबंध की नौकरी उन्हें भारी पड़ गयी। लेकिन तय कर लिया था कि उगाही नहीं करेंगे। वो कृषि सचिव जो उन्हें लेकर आया था, वह भी समझाने लगा कि भाई इनके मुंह पर नोटों के बंडल दे मारो। पहाड़ के इस सच्चे अफसर ने उनकी बात नहीं मानी। लिहाजा उन्हें चार्जशीट पकड़ा दी गयी। पैसों का आरोप नहीं लगा तो अन्य आरोप लगा दिये। मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा और अदालत से उन्हें राहत मिली। राम-राम करते करते दो साल बीते। तौबा की और उत्तराखंड सरकार को हाथ जोड़ दिये।
अब मामला सरदार जी का है। देखें क्या सच निकलता है। रेशम विभाग के एक अफसर को निलंबित करने की कहानी भी जल्द।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]