आखिर फूट ही गया आरबीएस रावत का भांडा

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  • पूरे गिरगिट जैसे ढंग, रक्षा मोर्चा और कांग्रेस को दिया धोखा
  • पहाड़ के लिए जीवन समर्पित करने की खाई थी कसम

पक्का याद नहीं, लेकिन मई-जून 2016 की बात होगी। देहरादून के मधुबन होटल में पूर्व पीसीसीएफ आरबीएस रावत की प्रेसवार्ता थी। रावत ने उस दिन देवी मां की कसम खाई कि अब वह अपना पूरा जीवन पहाड़ को समर्पित करेंगे। दरअसल, यह प्रेसवार्ता पूर्व कमिश्नर एसएस पांगती और पीसी थपलियाल की देन थी। दोनों महाशय रावत को उत्तराखंड रक्षा मोर्चा की कमान सौंपना चाहते थे। सो, भूमिका बन रही थी। जोर-शोर से प्रसारित किया जाने लगा कि रक्षा मोर्चा के अध्यक्ष आरबीएस रावत होंगे।
इस बीच नेहरू कालोनी में एक कोठी किराये पर ले ली गयी। हवन हुआ और आरबीएस रावत ने उस हवन में आहुति भी डाली। मैं एक दिन राजभवन गया तो पता चला कि आरबीएस रावत की फाइल सूचना आयुक्त के लिए चल रही है। मैंने थपलियाल जी को वहीं से फोन किया कि महाशय तो सूचना आयुक्त बनना चाहते हैं। वो मानने के लिए तैयार नहीं थे। आखिर आरबीएस कैसे उनको धोखा देते? खैर, आरबीएस सूचना आयुक्त नहीं बने। इस बीच रक्षा मोर्चा वाले टकटकी लगाए आरबीएस रावत की ओर देख रहे थे कि वो विधिवत रक्षा मोर्चा की कमान संभालेंगे, लेकिन आरबीएस रावत तो वेबफा निकले और नौ-दो-ग्यारह हो गये।
इससे पूर्व वह यूकेएसएसएससी में अध्यक्ष थे और उनकी रहनुमाई में वीडीपीओ परीक्षा घोटाला हो गया था। हरीश रावत सरकार स्टिंग और विद्रोही विधायकों के मुद्दे पर पहले से ही घिरी हुई थी। ऐसे में आरबीएस का घोटाला हरदा के लिए परेशानी बन गया था। लिहाजा हरदा ने आरबीएस को निपटा दिया। सच यह है कि हरदा को पता था कि आरबीएस नंबर एक के बेईमान हैं। यही कारण था कि जब रक्षा मोर्चा ने आरबीएस रावत को कमान सौंपनी चाही तो हरीश रावत ने उनके कान उमेठ दिये। आरबीएस रक्षा मोर्चा से बैन जॉनसन की तर्ज पर दौड़े और रक्षा मोर्चा कोसो दूर हो गया।
स्नातक भर्ती प्रकरण 2022 मामले में भी यूकेएसएससी के कुछ अफसरों ने मुझे बता दिया था कि वीडीपीओ ही नहीं, स्नातक भर्ती प्रकरण में भी आरबीएस का हाथ है। क्योंकि उनके लगाए कई कर्मचारी उनके लिए जासूसी करते हैं। पेपर लीक मामले में पकड़ा गया पीआरडी जवान मनोज जोशी भी उन्हीं का जासूस बताया गया, उसे 2018 में रंगे हाथ जासूसी करते पकड़ लिया गया था और नौकरी से निकाल दिया था। जो मुझे लगातार पढ़ते हैं उन्हें पता होगा कि मैं आरबीएस रावत के बारे में लगातार सवाल उठा रहा था।
रावत की छवि वन विभाग में पीसीसीएफ के तौर पर भी ठीक नहीं रही है। उन्हें एक भ्रष्ट अफसर के तौर पर ही याद किया जाता है। आरबीएस रावत गिरगिट की तरह रंग बदलने में माहिर हैं। 2017 में सत्ता बदली तो महाशय ने पाला बदल दिया। भाजपा में शामिल हो गये। संघियों के यहां डेरा डाल दिया। फिर जुगाड़बाजी कर भोले-भाले फटी जींस वाले सीएम तीरथ रावत के सलाहकार बन गये। नौकरशाह कहते हैं कि यदि तीरथ की सरकार चल जाती तो हा-हाकार मच जाता। खैर, आखिरकार आरबीएस रावत का भांडा फूट ही गया। उन्हें पुलिस ने वीडीपीओ भर्ती मामले में गिरफ्तार कर लिया।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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