- शिक्षिका शीतल रावत के खिलाफ अनुपस्थित रहने का चार्ज हटा
- मामले की जांच बीईओ थैलीसैंण विवेक पंवार को सौंपी
- शिक्षकों ने कहा, शीतल की हुई फजीहत, क्या माफी मांगेंगे सीईओ?
क्या पौड़ी के सीईओ डा. आनंद भारद्धाज को सस्ती लोकप्रियता चाहिए थी? थैलीसैंण ब्लाक के बग्वाड़ी गांव के प्राथमिक स्कूल की शिक्षिका शीतल रावत के मामले में जल्दबाजी में लिए गये एक्शन पर अब सवाल उठने लगे हैं। पहला सवाल यह है कि डा. आनंद भारद्वाज की स्कूल में छापेमारी की चिट्ठी सोशल मीडिया पर कैसे वायरल हुई? किसने यह चिट्ठी वायरल की? दूसरी बात, क्या स्कूल के औचक निरीक्षण के बाद शीतल उनसे मिली? यदि मिली तो उसका पक्ष क्यों नहीं सुना गया? तीसरी बात, सोशल मीडिया में वायरल हुई चिट्ठी में सीईओ ने जिला शिक्षा अधिकारी प्राथमिक शिक्षा से शीतल के अनुपस्थित रहने और उनकी जगह मधु रावत के प्रॉक्सी टीचर होने के संबंध में आख्या मांगी थी, आख्या मिलने से पहले ही सस्पेंड करने के आदेश क्यों जारी कर दिये? जबकि सोशल मीडिया में वायरल हुए पत्र में डा. भारद्धाज ने स्पष्टीकरण मिलने तक महज वेतन रोकने के निर्देश दिये थे, जो कि सही निर्णय था। लेकिन 12 घंटे बाद ही शीतल को निलंबित करने के आदेश दे दिये? आखिर इतनी जल्दबाजी किसलिए? स्पष्टीकरण संतोषजनक नहीं होता तो संस्पैंड करने का अधिकार तो उनके पास था ही।
मुझे सीईओ डा. आनंद भारद्वाज का 21 सितम्बर को लिखा पत्र मिला है जो कि वॉल पर है। इसमें पत्र में जिला शिक्षा अधिकारी प्राथमिक शिक्षा को लिखा गया है कि आख्या और निलंबन की कार्रवाई की जाए। प्रभारी सावेद आलम से मैंने पूछा कि आपने शीतल रावत से स्पष्टीकरण क्यों नहीं मांगा? सीधे संस्पैंड क्यों कर दिया? उनका कहना था कि सीईओ के आदेश थे तो निलंबित कर दिया। मैंने सवाल किया, क्या शीतल को अनुपस्थित रहने पर सस्पैंड किया गया? उनका जवाब था, नहीं, वह खेल प्रतियोगिता में थी। तो मैंने पूछा, संस्पेंशन का आधार क्या है? बोले, मधु रावत को अपनी जेब से पैसे क्यों दे रही हैं? मैंने एसएमसी का हवाला दिया तो उनका कहना था कि जब एकल टीचर होती है वह अनुमति तब की है। शीतल ने दो शिक्षिकाओं के रहते हुए भी मधु रावत को सेवाओं में रखा। जबकि उन्हें बीईओ बेसिक से इस संबंध अनुमति लेनी चाहिए थी। उधर, शीतल से इसका कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि मधु को एसएमसी के तहत रखा गया था तो उसे नहीं पता था कि दोबारा से अनुमति लेनी होगी।
साफ है कि अब सवाल प्राक्सी टीचर का नहीं है। अनुमति न लेने का है। यानी डयूटी से नदारद रहने का चार्ज समाप्त हो गया है। शिक्षकों का कहना है कि यदि सीईओ स्पष्टीकरण का इंतजार कर लेते तो संभवतः शीतल को संस्पैंड करने की नौबत नहीं आती। सोशल मीडिया में शीतल की फजीहत हो रही है। उनका सवाल है कि क्या सीईओ अब शीतल से अनुपस्थित रहने और प्राक्सी टीचर के मामले में माफी मांगेंगे?
फिलहाल, जांच बीईओ थैलीसैंण विवेक पंवार को सौंप दी गयी है। देखें, जांच में क्या निकलता है।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]