डीजी मैम, मैं आपके फैसले से सहमत हूं!

445

डीजी हेल्थ मैम की गुड हेल्थ के लिए दुआ। मैम ने क्या गलत किया कि मैक्स में चली गयी। क्यों बहस हो रही है इस बात पर कि सरकारी अस्पताल में क्यों नहीं गयी? दो बातें हैं, पहली स्टेट्स की, लोग इसी बहाने तो हाल-चाल पूछने आते हैं। कोरोनेशन या दून अस्पताल की टूटी-फूटी पान की पीक युक्त दीवारें दिखाती या उस जंग लगे बेड को दिखाती कि जिसका चक्का चलाने के बावजूद बेड टस से मस नहीं होता। ऊपर से शौचालय से आती भंयकर बदबू। मैक्स साफ सुथरा है और उनके स्टेट्स के अनुकूल है।
दूसरी बात विश्वास की है। कई डाक्टर तबादले और प्रमोशन के चक्कर में हैं। एक डाक्टर ने तो हाल में तबादले के लिए माइक टाइसन की तर्ज पर मरीज की उंगली चबा डाली। तब जाकर उत्तरकाशी से देहरादून तबादला हुआ। ऐसे में डीजी हेल्थ मैम की सुरक्षा जरूरी थी। सरकारी डाक्टरों का क्या है, तबादले या प्रमोशन के लिए हड्डी लेफ्ट की टूटी हो और सर्जरी कर दे राइट की। आखिर मैक्स के डाक्टर नीट में 720 में से 400 नंबर लाने वाले ठहरे और सरकारी डाक्टर 600 नंबर लाने वाले। इस देश में लायकों की कद्र ही कहां है?
इसलिए कोई कुछ भी कहे, मैं डीजी हेल्थ मैम के फैसले पर सहमत हूं कि मैक्स में इलाज के लिए गयी।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

लोग धर्म के नशे में, उनके बच्चे स्मैक-चरस की गिरफ्त में

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here