लोग धर्म के नशे में, उनके बच्चे स्मैक-चरस की गिरफ्त में

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  • सीमांत पिथौरागढ़ में फैल रहा नशे का कारोबार
  • बरेली और नेपाल से आ रहा नशे का सामान

ये जो पुलिस चेतावनी का बोर्ड मेरी वॉल पर लगा है, यह पिथौरागढ़ के किसी सुनसान इलाके में नहीं लगा। पिथौरागढ़ शहर के बीचों-बीच स्थित भारकोट व्यू प्वाइंट के पास लगा है। बस अड्डे से एक किलोमीटर की दूरी पर। यह सुंदर शहर स्मैकियों और चरसियों से भरा पड़ा है। सीमांत जनपद के इस शहर पर नशे की काली छाया है। यहां बड़ी संख्या में युवा ड्रग्स एडिक्ट हो चुके हैं और उनके अभिभावकों को समझ में नहीं आ रहा है कि नशे की इस लत से उसे कैसे बचाएं।
मैं जिस होटल में ठहरा था, वहां से पिथौरागढ़ बस अड्डा महज 100 मीटर की दूरी पर है। इस 100 मीटर की परिधि में शराब के दो ठेके हैं। यानी सरकार भी खुलकर नशा बेच रही है तो नशे के सौदागरों को रोकेगा कौन? शहर से लगभग तीन-चार किलोमीटर की दूरी पर चंडाक है। चंडाक वह जगह है जहां से नीचे देखो तो पूरे पिथौरागढ़ शहर का विहंगम दृश्य नजर आता है, और आसपास देखो तो सारे नशेड़ी। पर्यटक वहां आते हैं और उनकी गालियों, झगड़े देख शरम से दोहरे हुए जाते हैं। यहां नशे की गिरफ्त में लड़के ही नहीं लड़कियां भी हैं। चंडाक को लवर्स पैराडाइज बना दिया गया है, और उससे भी कहीं अधिक ड्रग्स कंस्यूमिंग प्वाइंट।
यह नशा कहां से आता है? बरेली और नेपाल से। स्मैक-चरस और कुछ अन्य मादक पदार्थ बरेली और हल्द्वानी से यहां पहुंच रहे हैं। ड्रग पैडलर में दिल्ली-दून में पढ़े लिखे युवा से लेकर फौज से जुड़े कुछ लोग तक शामिल बताए जाते हैं। नेपाल से गांजा, शुल्फा और अफीम पहुंच रही है। पुलिस लाचार क्यों है, यह बड़ा सवाल है।
उधर, सीमांत इलाके पिथौरागढ़ और उससे सटे चम्पावत में जनता धर्म की अफीम चूस कर प्रदेश को सबसे आगे ले जाने का सपना देख रही है और उनके बच्चे नशे के शिकार हो रहे हैं। जब तक उनकी नींद खुलती है तो बच्चा बर्बाद हो चुका होता है।
उत्तरजन टुडे के अक्टूबर अंक में विस्तृत रिपोर्ट।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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