- पूर्व मुख्य सचिव एनएस नपलच्याल की रिपोर्ट पर क्यों नहीं हुआ अमल?
- सरकार, यदि संस्तुतियां नहीं करनी लागू तो आयोग क्यों बनाते हो?
हरिद्वार के पंचायत चुनाव में जहरीली शराब ने 11 लोगों की जिंदगी ले ली। कई बीमार है। इस मामले में सरकार ने लचर रुख अपनाया हुआ है। जबकि सरकार को चाहिए कि हरिद्वार के डीएम वहां के एसएसपी और जिला आबकारी अधिकारी को तत्काल प्रभाव से हटा देना चाहिए और उन्हें भविष्य में किसी भी संवेदनशील जिले का चार्ज नहीं दिया जाना चाहिए। जब तक इन अधिकारियों की जिम्मेदारी तय नहीं होगी तब तक जहरीली शराब पर अंकुश नहीं लग सकता और लोगों के मरने का सिलसिला जारी रहेगा। प्वाइजन एक्ट में मिथाइल एल्कोहल पर नियंत्रण होना चाहिए।
मैं यह बात खुद से नहीं, पूर्व मुख्य सचिव एनएस नपलच्याल की संस्तुतियों के आधार पर कह रहा हूं। 2019 में झबरेड़ा में जहरीली शराब पीने से 20 लोगों की मौत हो गयी थी। इस मामले में शासन ने पूर्व सीएस नपलच्याल की अध्यक्षता में आयोग बिठाया था। इस आयोग ने 31 अक्टूबर 2019 को सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। 100 पेज की इस रिपोर्ट में 20 संस्तुतियां भी की गयी थी। इन संस्तुतियों में डीएम, एसएसपी और जिला आबकारी अधिकारी और आबकारी आयुक्त को भी जवाबदेह बनाने की सिफारिश की गयी थी।
पूर्व मुख्य सचिव नपलच्याल का कहना है कि कौन सुनता है। मैंने तो यह भी सिफारिश की थी कि इस रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर रखा जाएं। विधानसभा को यह भी बताया जाए कि इस घटना पर क्या कार्रवाई की गयी। गौरतलब है कि उन्होंने दो पार्ट में रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। 100 पेज की रिपोर्ट के साथ उक्त घटना के दस्तावेज, साक्ष्य और बयान भी शामिल किये गये थे।\
मिथाइल एल्कोहल को प्वाइजन एक्ट में शामिल किया जाना चाहिए। इससे ही जहरीली शराब बनती है। इसे एक्ट में शामिल किया जाना चाहिए। जब तक अफसरों को जिम्मेदार नहीं ठहराओगे तो इस तरह की घटनाएं नहीं रुकेंगी। सख्ती से रिस्पॉसबिल्टी तय होनी चाहिए। वह हरिद्वार की घटना से व्यथित हैं। क्षुब्ध होकर कहते हैं कि ‘पड़ी होगी मेरी रिपोर्ट कहीं तहखाने में। कौन परवाह करता है।
साफ है कि सरकार को 11 लोगों की मौत के जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]
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