- दिमाग पर लगे जालों को झाड़ रहे नौकरशाह
- समस्या की जड़ तक नहीं जाना चाहती सरकार
13 विभागों के 916 पदों के लिए हुई भर्ती का यह हाल है। सात हजार पदों के लिए 23 भर्तियां होंगी जनवरी तक। वह भी महज पांच माह की अवधि में। जबकि 2017 से अब तक प्रदेश में 8500 पदों पर ही भर्ती हो सकी है। उसमें से भी तीन परीक्षाओं की जांच चल रही है। न स्टाफ है और न संसाधन। क्या फिर आउटसोर्सिंग एजेंसी की मदद ली जाएगी?
जैसे नेशनल टेस्टिंग एजेंसी है, उस तरह की सरकारी एजेंसी बनाने के प्रयास क्यों नहीं होते? भर्ती भले ही कुछ समय बाद कर लो, लेकिन नकलविहीन और त्रृटिविहीन परीक्षाएं करवाने की गारंटी होनी चाहिए। देरी से भर्ती होने पर आयु सीमा में छूट दी जा सकती है। पांच महीने में इतनी भर्ती होना संभव नहीं है। न तो यूकेएसएसएससी के पास पर्याप्त स्टाफ और संसाधन हैं और न ही लोक सेवा आयोग के पास।
सरकार का भरपूर प्रयास है कि युवाओं को भ्रमित कर दें। सरकार समस्या की जड़ तक जाना ही नहीं चाहती। सरकार को सलाह देने वाले नौकरशाहों ने अपने दिमाग के जालों को साफ करना शुरू कर दिया है। नौकरशाहों का दिमाग यदि सकारात्मक चला होता तो प्रदेश में इस तरह के हालात ही नहीं होते।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]