- पूरे प्रदेश में सबसे लोकप्रिय लेकिन अपना एक विधानसभा क्षेत्र नहीं
- उम्र के इस पहाड़ में आखिर कहां से चुनाव लड़ेंगे हरीश रावत?
कांग्रेस हाईकमान ने मान लिया है कि हरदा की त्वचा से उनकी उम्र का पता ही नहीं चलता। फेयर एडं लवली का कमाल है या काड़ा पीने का। 75 साल की उम्र में भी गजब का जोश है हरदा में। अच्छे खासे युवा नेताओं को राजनीतिक धूल चटा दी। यह होता है अनुभव और पहुंच का लाभ। साफ है कि मिशन 2022 में हरदा मुख्य किरदार निभाएंगे। लेकिन लाख टके का सवाल है कि आखिर हरदा चुनाव किस विधानसभा सीट से लड़ेंगे?
यदि आज भी उत्तराखंड में जनसर्वे किया जाए तो पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत सबसे लोकप्रिय नेता साबित होंगे। सोशल मीडिया में भी वह सबसे अधिक लोकप्रिय नेता हैं। लेकिन यह भी उतना ही सच है कि हरदा प्रदेश की राजनीति में किरायेदार हैं। उनके पास अपना कोई राजनीतिक क्षेत्र नहीं है। कभी अल्मोड़ा, कभी हरिद्वार तो कभी किच्छा तो कभी धारचुला। लेकिन 2022 में कहां, यह अभी तय नहीं। अल्मोड़ा की जनता ने कभी भी अपने इस लाल की कद्र ही नहीं की। 1991 से लेकर 2009 तक हरदा को हर चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। 2009 में हरिद्वार के लोगों ने हरदा के राजनीतिक वनवास को खत्म किया।
2014 में सीएम बनने के बाद धारचुला से विधायक बने। 2017 में हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा से चुनाव लड़े लेकिन दोनों सीटों पर हार गए। हरदा ने मुझे बताया कि किच्छा से चुनाव लड़ना राजनीतिक भूल थी। उनके अनुसार कुछ मित्रों ने किच्छा सीट सुझाई थी। इस बार उनके लिए दोहरी चुनौती है कि अपने लिए तो सीट तलाशनी ही है साथ ही अपने बेटे आनंद रावत को भी राजनीति में स्थापित करना है। हरदा के लिए 2022 का चुनाव करो या मरो जैसा होगा। अब किरायेदार हरदा को अपने साथ ही अपने बेटे आनंद के लिए भी कोई सुरक्षित सीट तलाशनी होगी। वरना गई भैंस पानी में।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]