- नैतिकता अब बची नहीं, सीएम धामी को लेना होगा कठोर फैसला
- स्पीकर ऋतु खंडूड़ी को जांच देने का अर्थ है घोटाले पर लीपा-पोती
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को उनके प्रशंसक धाकड़ धामी कहते हैं। अब समय आ गया है कि उन्हें दिखाना होगा कि वह सच में धाकड़ हैं। विधानसभा भर्ती घोटाले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल को तुरंत मंत्री पद से हटा दिया जाएं। प्रेमचंद अग्रवाल से भाजपा की छवि को भारी धक्का लगा है और यदि वह पद पर बने रहते हैं तो मिशन 2024 में मोदी सरकार के लिए एक बड़ा खतरा साबित होंगे। कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल को इसलिए भी पद पर नहीं रहना चाहिए कि उन्होंने स्वीकार किया है कि विधानसभा में बैकडोर से भर्तियां की हैं। सचिव मुकेश सिंघल को बार-बार प्रमोशन दे दिया। यहां तक कि मुकेश सिंघल अपने ही लिए वेतनमान बढ़ाने के कागजात पर अपने ही हस्ताक्षर कर रहे हैं। मुकेश सिंघल को भी तुरंत प्रभाव से संस्पैंड कर देना चाहिए और उन्हें मूल कैडर में वापस भेज देना चाहिए।
सीएम धामी की यह अग्निपरीक्षा है। यदि वह प्रेमचंद जो कि अब उत्तराखंड के लिए भारी कलंक है, उनको नहीं हटाते हैं तो सीएम धामी खुद के लिए मुसीबत मोल लेंगे। उनके खिलाफ भाजपा में ही साजिश चल रही है। वह लॉबी और सक्रिय होगी और तय है कि समय से पहले ही धामी की विदाई हो जाएगी। क्योंकि प्रेमचंद प्रकरण ने भाजपा की फजीहत करा दी है। रही स्पीकर ऋतु खंडूडी से मामले की जांच की बात तो उस पर राजनीति का साधारण जानकार भी बता सकता है कि ऋतु को इस प्रकरण में मोहरा बनाने की कवायद की जा रही है ताकि ठीकरा मौजूदा स्पीकर के सिर फूटे। भला ऋतु कैसे इस मामले का समाधान तलाशेंगी।
इस मामले में प्रदेश के सभी बड़े नेताओं के दामन कीचड़ से भरे हुए हैं। इस मामले की सीबीआई जांच होगी तो सब नेता नंगे हो जाएंगे। इसलिए धामी चाहे तो प्रेमचंद अग्रवाल की बलि लेकर छवि कुछ हद तक अपनी और पार्टी की साफ कर सकते हैं। मामले की जांच हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस को दी जा सकती है। यदि विधानसभा भर्ती मामले का समाधान नहीं हुआ तो तय है कि धामी की राह निकट भविष्य में बहुत कठिन होगी।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]