क्या माफिया अतीक अहमद की तर्ज पर जब्त होगी हाकम की संपत्ति?

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  • विधि विशेषज्ञ बोले, गैंगस्टर लगी तो ही जब्त हो सकती है संपत्ति
  • पेपरलीक में साधारण धाराएं, मीडिया ट्रायल खत्म होते ही मिल जाएगी जमानत

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड राज्य अधीनस्थ सेवा चयन आयोग पेपरलीक मामले के आरोपियों की बेनामी संपत्ति जब्त करने की बात कही है। इसके लिए सरकार को आरोपियों पर गैंगस्टर एक्ट लगाना होगा। बिना इस धारा के आरोपियों की संपत्ति जब्त नहीं की जा सकती है। मौजूदा धाराओं में सभी आरोपियों को तुरंत जमानत मिल जाएगी। आरोपियों पर 420 और 120 बी धाराएं ही लगी हैं। गिरफ्तार सरकारी कर्मचारियों पर आय से अधिक संपत्ति का मामला बनाना होगा। विधि विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा धाराओं में तो मीडिया ट्रायल तक ही आरोपी जेल में रहेंगे। उनको तुरंत जमानत मिल जाएगी।
साधारण कुक से हाकिम बने हाकिम की संपत्ति को जब्त करना या उसे बेनामी साबित करना सरकार के लिए खासी मुश्किल होगी। पहली बात यह है कि हाकम के संबंध भाजपा के सभी दिग्गज नेताओं से हैं। दूसरी बात सुप्रीम कोर्ट ने बेनामी संपत्ति कानून-2016 में किया गया संशोधन निरस्त कर दिया था। इस संसोधन में तीन साल तक की कैद का प्रावधान किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बेनामी ट्रांजेक्शन एक्ट, 2016 की धारा 3(2) की धारा स्पष्ट रूप से मनमानी है।
बेनामी संपत्ति की लेनेदेन की 2016 के अधिनियम की धारा 3 (2) के अनुसार, जो कोई भी बेनामी लेनदेन में लिप्त है, उसे तीन साल तक की जेल या फिर जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है। 2016 के बेनामी संपत्ति कानून में संशोधन किया गया। संशोधन के अनुसार, बेनामी संपत्तियों को जब्त एवं सील करने का प्रावधान जोड़ा गया। इसके साथ ही उस संपत्ति को भी बेनामी माना गया जो किसी फर्जी नाम से खरीदी गई। गौरतलब है कि हाल में योगी सरकार ने अतीक अहमद की 80 करोड़ की 3 संपत्तियां कुर्क की हैं।
प्रख्यात अधिवक्ता राज सिंह राघव के मुताबिक अब एक केस में भी गैंगस्टर लग सकता है। पेपरलीक कांड में एक पूरा गैंग शामिल है। ऐसे में उनपर गैंगस्टर लगाई जा सकती है। इस एक्ट के आधार पर ही संपत्ति कुर्क की जा सकती है। गैंगस्टर एक्ट 1986 के तहत दस साल की सजा और 50 हजार रुपये की सजा हो सकती है। इसमें संपत्ति कुर्क करने का भी प्रावधान है।
अधिवक्ता विकेश सिंह नेगी के अनुसार मौजूदा धाराएं जमानती हैं। तुरंत जमानत मिल जाएगी। मीडिया ट्रायल के चलते बेल एप्लीकेशन मूव नहीं हुई हैं। आरोपी सरकारी कर्मचारियों पर पीसी एक्ट के तहत कार्रवाई की जा सकती है। आय से अधिक संपत्ति होने का मामला बनता है। गैंगस्टर के तहत कुर्की करने का आदेश डिप्टी कमिश्नर रैंक के अधिकारी दे सकते हैं।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

गंगा नहाकर हाकम और रिजुल भाजपा में हुए थे शामिल

 

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