- महज 547 प्रतिशत अधिक आय को भी नहीं छिपा सका नालायक सीए
- रामविलास को भी सबक, दूसरे नौकरशाहों से कुछ तो सीख लिया होता
कुछ नौकरशाह बहुत ही मासूम होते हैं। ऐसे ही हैं आईएएस रामविलास यादव। यादव की मासूमियत का अंदाजा इसी बात से लग जाता है कि उनके पास महज 547 प्रतिशत अधिक आय होने का आरोप है। बस इतना सा। और देखो, संस्पेंड भी हो गये और गिरफ्तार भी। भई, इतनी आय तो किसी भी विभाग के इंस्पेक्टर या सेक्शन आफिसर के पास हो सकती है। आरटीओ के पास भी। या खनन विभाग के एएलओ या डीएलओे के पास भी। बेचारे राव साहब, इतनी सी भी संपत्ति नहीं छिपा सके।
दरअसल, इस मामले में सारी गलती सीए की है। भला ऐसे सीए का क्या लाभ, जो इतनी सी भी प्रापर्टी या आय मैनेज न कर सके? जमानत पर बाहर आते ही रामविलास को सबसे पहले अपना सीए और पीए बदलना होगा। पीए किस बात का जो ‘मैनेज‘ ही न कर सके।
वरना सच तो यह है कि उत्तराखंड के नौकरशाहों ने अपनी अतिरिक्त संपत्ति को इस तरह मैनेज कर लिया कि उनका पेट कुंआ हो गया है। रामविलास यादव के लिए सबक है, देखो न नौकरशाहों ने खुद तो खूब खाया, अपने माता-पिता और सास ससुर को भी भरपेट खिला दिया। हुआ कुछ, उलटे बेचारे विक्टिम साबित हो गये। ठगी के शिकार। जिस पटवारी ने उनके खिलाफ एफआईआर करवाई, वही संस्पेंड हो गया। उन नौकरशाहों का आज भी पद और रुतबा बरकरार है।
तो राव साहब, सोचिए, विचारिए और अपना सीए और पीए दोनों बदल दीजिए।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]