- पूर्व मंत्री अरविंद पांडे का जेसी पांडे को सेवा विस्तार देने की सिफारिश
- स्वास्थ्य मंत्री बोले, मेरे संज्ञान में नहीं मामला, नियमानुसार ही मिलता है सेवा विस्तार
स्वास्थ्य विभाग में गजब हाल हैं। एक ओर एनएचएम से जुड़े एक हजार लोगों को नौकरी से निकाल दिया गया तो दूसरी ओर एक कर्मचारी जगदीश चंद्र पांडेय को सेवा विस्तार देने के लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से लेकर नेता भी जुटे हुए हैं। जेसी पांडे स्वास्थ्य विभाग में आईईसी पद पर हैं। आरोप है कि वह इस पद के योग्य नहीं थे लेकिन उनके लिए नई नियमावली बनाई गयी। यह भी आरोप हैं कि स्वास्थ्य विभाग के कई अफसरों ने रातों-रात पांडे के सेवा विस्तार की फाइल चलाई। गौरतलब है कि स्वास्थ्य विभाग की नीतियों के प्रचार-प्रसार का करोड़ों रुपये का बजट है। आईईसी इस बजट का इस्तेमाल करता है।
सूत्रों के अनुसार जेसी पांडे की पहुंच ऊपर तक है। बताया जा रहा है कि उनके सेवा विस्तार की फाइल अब सचिव राधिका झा तक पहुंच गयी है। पांडे को 31 मई को रिटायर होना है। सोशल मीडिया पर पूर्व कैबिनेट मंत्री और मौजूदा विधायक अरविंद पांडे का एक लैटर वायरल हो रहा है जिसमें उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत को जेसी पांडे के समर्थन में सिफारिशी पत्र लिखा है।
मेरा सवाल यह है कि क्या विभाग के पास एक भी काबिल अधिकारी नहीं है जो पांडे को सेवा विस्तार दिया जा रहा है? त्रिवेंद्र सरकार ने सेवा विस्तार देने पर रोक लगा दी थी। यह आदेश जारी किया गया था कि विभाग लिखकर दे कि उनके यहां सभी निठल्ले हैं और जिसे सेवा विस्तार दिया जा रहा है तो वही एक मात्र योग्य है। क्या स्वास्थ्य विभाग में ऐसा है? जबकि सूत्रों के मुताबिक विभाग के एक अधिकारी ने डीजी हेल्थ को दो पेज का पत्र लिखा है कि वह आईईसी पद की सभी शर्तों को पूरा करते हैं। ऐेसे में एक अधिकारी को बेवजह ही सेवा विस्तार क्यों? उधर, दून अस्पताल में संविदाकर्मी नौकरी के लिए आंदोलनरत हैं, उनकी उपेक्षा क्यों?
इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्री डा. धन सिंह रावत का कहना है कि सिफारिशी पत्र उनके संज्ञान में नहीं है। सेवा विस्तार देने का सवाल ही नहीं है। यदि किसी ने गोल्ड मेडल जीता हो या राष्ट्रपति पुरस्कार तो ही उसे सेवा विस्तार मिलता है। नियमानुसार ही सेवा विस्तार मिलेगा। उन्होंने दोहराया कि निकाले गये संविदाकर्मियों के लिए नौकरी देने के लिए सभी प्राचार्यों को आदेशित कर दिया गया है।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]