पेरिस में आज दिखेगा उत्तराखंड के लाल का जलवा

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  • 20 किमी. वॉक रेस में प्रतिभाग करेंगे परमजीत बिष्ट
  • यह कैसी खेल नीति, देश को 17 नामी खिलाड़ी देने वाला राइंका बैरांगना बदहाल

पेरिस ओलंपिक में कल मैंने उत्तराखंड के लाल लक्ष्य सेन का दुनिया के तीसरे नंबर के खिलाड़ी इंडोनेशिया के जोनाथन क्रिस्टी के साथ रोमांचक मुकाबला देखा। लक्ष्य में गजब की फुर्ती थी। कई बार रैली हुई और लक्ष्य कई बार जमीन पर गिरा, लेकिन वह तेजी से क्रिस्टी का जवाब देता। एक बार तो कमर के पीछे से ऐसा बैक शॉट मारा कि क्रिस्टी भौचक्का रह गया। 22 वर्षीय लक्ष्य निश्चित ही प्रतिभावान है और उससे हमें पदक की उम्मीद है।
पेरिस में आज चमोली के खल्ला गांव के परमजीत बिष्ट 20 किमी वॉक रेस में अपना दम-खम दिखाएंगे। 23 वर्षीय परमजीत गांव की ऊबड़-खाबड़ पगडंडियों से होता हुआ अपनी प्रतिभा के दम पर पेरिस जा पहुंचा। गांव की पगडंडी से पेरिस तक का सफर आसान नहीं था। संकरी सड़कों और पगडंडियों पर अभ्यास करते समय कभी ग्रामीण उसका मजाक उड़ाते थे, क्योंकि उन्हें पता ही नहीं कि वॉक रेस होती क्या है। ऐसे में छिपकर अभ्यास करता। जब वह कक्षा 9 में था तो उसके पीटी शिक्षक गोपाल बिष्ट ने उन्हें प्रोत्साहित किया। स्कूल के वार्षिक खेल दिवस से हुई शुरूआत आज पेरिस तक पहुंच गई। परमजीत की लंबी कहानी है। परमजीत के नाम अंडर-17 और अंडर-19 में पांच किलोमीटर में राष्ट्रीय रिकार्ड है। उनके लिए दुआ है और ढेरों उम्मीदें हैं कि पेरिस ओलंपिक में वह देश के लिए पदक जुटा लें।
आपको बता दूं कि परमजीत बिष्ट चमोली के राजकीय इंटर कालेज बैरांगना के छात्र रहे हैं। इससे पहले मनीष रावत भी इसी स्कूल के छात्र रहे और उनके गुरु भी गोपाल बिष्ट ही रहे। मनीष ने रियो ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया था। इसके अलावा देश की प्रख्यात उदयीमान वॉक रेसर मानसी नेगी भी इसी स्कूल की छात्रा रही। इस स्कूल ने अब तक देश को 17 नामी एथलीट दिए हैं, लेकिन बताया जाता है कि यहां न तो ठीक से खेल मैदान है और न अन्य सुविधाएं। सरकार खेल नीति और खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने की बात करती है लेकिन सच यही है कि जब कोई फलक पर चमकता है तो ही सरकार उसकी सुध लेती है। मानसी नेगी को वॉक शू की दरकार थी तो मैंने ही उसकी बात उठाई, तब सीआईएमएस के चेयरमैन ललित जोशी, पीजा इटालिया की शिल्पा भट्ट और राज्य आंदोलनकारी जयदीप सकलानी मदद के लिए आगे आए थे। मानसी आज उत्तराखंड की बजाए रेलवे के लिए खेल रही है। प्रदेश सरकार को खेल नीति को अधिक प्रभावी बनाना चाहिए।
(वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार)

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