क्रिकेट में यौन उत्पीड़न पर गहन चुप्पी क्यों?

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  • महिला संगठन और नारी सशक्तीकरण के पक्षधर भी नदारद
  • कई बड़े पुलिस अधिकारी और नौकरशाह का संरक्षण है सीएयू को

चमोली जिले की क्रिकेटर लड़कियों ने सीएयू के कोच नरेंद्र शाह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। नाबालिग लड़की के बयान होने हैं। शिकायत में सीएयू के दो पदाधिकारियों के नाम भी सामने आए हैं। पूरे देश में उत्तराखंड क्रिकेट की थू-थू हो रही है लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि कोई महिला, जनवादी या खेलों से जुड़े संगठन इस पूरे प्रकरण में आगे नहीं आया है। यूकेडी ने जरूर कुछ देर के लिए सीएयू आफिस में जाकर हो-हल्ला किया, लेकिन इसके बाद फिर खामोशी है। केवल बाल संरक्षण आयोग की पूर्व अध्यक्ष ऊषा नेगी ही इस मामले में सक्रिय हैं।
मैं आपको बता दूं कि सीएयू में सबकुछ ठीक नहीं है। पिछले तीन साल से सीएयू लगातार विवाद में है। सीएयू ने क्रिकेट की न तो एक पिच बनाई और न कोई स्टेडियम बनाया। इसके बावजूद करोड़ों रुपये खर्च कर दिया। यह खर्च कहां हुआ, इसकी जांच करने के लिए सरकार भी तैयार नहीं है कि यह कंपनी का मामला है।
अब मामला यौन उत्पीड़न का है। सूत्रों के अनुसार यौन शोषण की शिकार लड़कियों पर दबाव बनाया जा रहा है। चूंकि सीएयू के साथ तीन वरिष्ठ आईएएस भी जुड़े रहे हैं। इनमें से एक आईएएस तो अब भी सीएयू का सदस्य है। पुलिस के आला अधिकारियों के भी सीएयू से संबंध हैं। ऐसे में सब सीएयू पर हाथ डालने से बच रहे हैं। सूत्रों के अनुसार नरेंद्र शाह ने और भी लड़कियों का यौन शोषण किया है। लेकिन जांच करेगा कौन?
यह भी विचारणीय है कि कोच नरेंद्र ने कई लड़कियों को तो न बैट पकडना सिखाया और न ही बालिंग सिखाई। इसके बावजूद उन्हें कभी सहारनपुर तो कभी अन्य जगह ले जाया गया। आगे बढ़ने के लिए सीएयू के पदाधिकारियों के पास भेजने के लिए दबाव डालता रहा। उत्तराखंड क्रिकेट के लिए ये सब बहुत ही चिन्तनीय है। पर इस मामले में पालीटिकल चुप्पी तो है ही महिला संगठन भी खामोश हैं।
इसके लिए जरूरी है कि मामले की न्यायिक जांच होनी चाहिए। वरना तय है कि सीएयू के काले कारनामों का सच उजागर नहीं होगा।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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