- पूर्व डीएम का कुक हाकम क्या महज प्यादा है?
एक विधायक के भाई और सचिवालय के एक अधिकारी की भूमिका भी संदिग्ध
उत्तराखंड राज्य अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तरीय भर्ती घोटाले की परत-दर-परत खुल रही हैं। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, जनप्रतिनिधियों और सचिवालय में कार्यरत अफसर के तार भी इस घोटाले से जुड़े नजर आ रहे हैं। आयोग के ही दोनों चेयरमैन एस. राजू और आरबीएस रावत की भूमिका की भी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। सूत्रों के मुताबिक आयोग की लगभग एक दर्जन परीक्षाओं में धांधली होने की बात है। पेयजल निगम और पीडब्ल्यूडी में जेई परीक्षा को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। यहां कुछ विशेष इलाकों के लोगों का चयन हुआ है।
सूत्रों के अनुसार हाकम महज प्यादा साबित हो सकता है। मास्टरमाइंड तो कोई और है। बताया जा रहा है कि हाकम कभी बिजनौर के एक डीएम जो कि अब रिटायर हो गये, उनके यहां खाना बनाने का काम करता था। इसके बाद उसने तिकड़म लगाया और जनप्रतिनिधि बन बैठा। सूत्रों के मुताबिक आयोग के एक पूर्व अधिकारी की भूमिका की भी जांच की जा रही हैं। यह अब सचिवालय में तैनात है। कई कोचिंग सेंटर और उनके इशारे पर नाचने वाले बेरोजगार नेताओं की भूमिका की जांच भी होनी चाहिए।
ऐसे में बेरोजगारों को यह चिन्ता सता रही है कि दबाव में जांच बंद की जा सकती है। हालांकि सीएम धामी ने स्पष्ट कर दिया है कि बेरोजगारों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं होगा। उनके आदेश पर ही भर्ती जांच हो रही है। उम्मीद की जानी चाहिए कि जांच मंजिल तक पहुंचेगी। बेरोजगारों को यही भय है कि एसटीएफ जांच रोक सकती है। बेरोजगार इस मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]