स्कूल नहीं, प्रेस क्लब की जमीन पर बनाओ पार्किंग

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  • दलाली और प्रापर्टी डीलरों का अड्डा है प्रेस क्लब
  • सस्ती दारू और मुफ्त के पकोड़े खाते हैं गणेश मीडिया के पत्रकार

सरकार सेंट जोसेफ स्कूल की नजूल भूमि को कब्जे में लेकर पार्किंग बनाने जा रही है। यह गलत फैसला है। यह मानता हूं कि इस स्कूल का प्रबंधन बेहद लालची और लुटेरा है, लेकिन यह भी सच है कि यहां क्वालिटी एजूकेशन मिलती है। पिछले 24 साल में राजपुर रोड और मसूरी इलाके में एक भी ऐसा सरकारी स्कूल नहीं बना जो सेंट जोसेफ से क्वालिटी एजूकेशन के मामले में 100 कोस दूर भी पहुंच सके।
मेरा तो कहना है कि प्रेस क्लब को पार्किंग में तब्दील कर दिया जाना चाहिए। इस क्लब का नगर निगम की जमीन पर 1998 से ही अवैध कब्जा है। सरकार ने क्लब को ईसी रोड और विधानसभा के निकट जमीन देना प्रस्तावित किया था, लेकिन पत्रकार मुफ्तखोर हैं, पैसा खर्च नहीं करना चाहते थे तो यहीं कब्जा जमाए बैठे हैं।
उत्तरांचल प्रेस क्लब के गजब हाल हैं। क्लब ने नगर निगम को वर्षों से किराया भी नहीं दिया, लेकिन खुद अपने हॉल को प्रेस कांफ्रेंस करने के लिए 1500 रुपये लेते हैं। गणेश मीडिया यानी मुख्यधारा के पत्रकार यहां आते हैं, प्रेस कांफ्रेंस अटैंड नहीं करते, और बाहर रखे चाय पकोड़े साफ कर देते हैं और प्रेसवार्ता की खबर भी नहीं छापते या दिखाते। यह दबंगई उस दिन धरी रह गई जब ये प्रेसवार्ता आयोजक यह कहकर पकौडों की टोकरी अपने साथ ले गया कि कांफ्रेंस में आए नहीं तो पकौड़े किस बात के खिलाऊं।
प्रेस क्लब का बार झुग्गी टाइप है। बस, पियक्कड़ों को जिनमें पत्रकारों से ज्यादा रिक्शेवाले और डीएवी कालेज के कुछ शिक्षक शामिल हैं, सस्ती दारू के चक्कर में आ जाते हैं तो काम चल रहा है। हाल में घुसते ही ऐसे लगता है कि पत्रकार शहीद स्थल में आ गए। ढेर सारे दिवंगत पत्रकारों के फोटो के साथ ही क्लब अध्यक्षों के पोस्टकार्ड साइज फोटो भी लगा दिए गए हैं। एक दिवंगत पत्रकार के साथ एक जीवित पत्रकार का फोटो लगा दिया। मैंने अन्य पत्रकारों से पूछा कि ये कब मरा? तो पता चला कि पूर्व अध्यक्ष है। हद है।
क्लब की सदस्यता के दो पैमाने हैं, एक 1200 रुपये वाला और एक 5000 रुपये वाला। सोसाइटी एक्ट में तो डयूअल मेंमबरशिप का प्रावधान है कि नहीं, मुझे नहीं पता। पर इतना कह सकता हूं कि ये प्रेस क्लब न कोई वर्कशाप करवाता है, न कोई संवाद और न ही यहां किसी बड़े पत्रकार मसलन हरीश चंदोला जैसे पत्रकारों के निधन पर भी उनको श्रद्धांजलि नहीं दी जाती।
ऐसे में मेरी सरकार और नगर निगम के प्रशासक से अपील है कि पत्रकारों के इस शहीद स्थल को जब्त कर पार्किंग बना दें, कम से कम जनता के काम तो आएंगे। जनता की खबर तो गोदी और गणेश मीडिया दिखाते या छापते नहीं।
(वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार)

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