- निशंक के रचना संसार आनलाइन वार्ता सीरीज की हीरक जयंती समारोह
- मजेदार बात, न तो चिदानंद पढ़ाकू हैं और न रामेदव
ऋषिकेश में साहित्य जगत में एक नई क्रांति का सूत्रपात हुआ है। पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक के रचना संसार की आनलाइन वार्ता का हीरक जयंती समारोह हुआ। निशंक ने अब तक 60 से भी अधिक किताबें लिख दी हैं। यह एक गजब का कारनामा है। संभवतः वह भारत के पहले ऐसे साहित्यकार होंगे, जिन्होंने इतनी पुस्तकों की रचना की है। वह भी राजनीति करते हुए। इस बीच निशंक को नीदरलैंड से भी पीएचडी की मानद उपाधि मिल गयी है। गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीदेव सुमन या दून विवि को चाहिए कि निशंक के साहित्य रचना संसार पर किसी को पीएचडी कराएं।
खैर नई क्रांति मैं इसलिए लिख रहा था कि बाबा रामदेव अब उपन्याय पढ़ेंगे वह भी निशंक का। बाबा ने कहा कि उन्होंने कभी उपन्यास नहीं पढ़ा, अब पढ़ेंगे। हीरक समारोह में बाबा रामदेव के आने का औचित्य ठीक ऐसे था जैसे चिदानंद मुनि का देहरादून के क्रिकेट स्टेडियम में सीएम व गर्वनर के साथ घूमना। बेहतर होता कि निशंक देश के किसी जाने-माने साहित्यकार को बुलाते। क्या बुलाया होगा? क्या वो आए नहीं होंगे, मजबूरी जाहिर की होगी कि दिवाली का सीजन है नहीं आ सकता। कुमार विश्वास को आजकल भाजपा प्रेम है तो उन्हें ही बुला लिया जाता। वह विशुद्ध साहित्यकार भी हैं और स्थापित कवि भी। कई कुलपति भी मौजूद थे। डा. सुधारानी पांडे को यह सम्मान दे देते तो निशंक का मान कहीं अधिक बढ़ जाता।
निशंक के साहित्य रचना की ललक पर मुझे गर्व है। आखिर वह साहित्य प्रेमी हैं और उनके इस जुनून के कारण कई लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। बस शिकायत यह है कि उन्होंने खुद सरस्वती शिशु मंदिर में अध्यापन किया लेकिन आज जब भाजपा के साथ ही साथ आरएसएस वाले भी मलाई चाट रहे हैं तो बेचारे शिशु मंदिर के शिक्षकों के हालात क्यों नहीं बदले? उनको देशी घी की मिठाई के युग में भी दिवाली पर सोनपापड़ी ही खरीदनी पड़ रही है।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]