मोदी जी का देवभूमि में हार्दिक स्वागत है!

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  • हमारे हालात भीलों जैसे, पहाड़ में जगह-जगह बने केदारनाथ जैसी गुफाएं
  • प्रदेश में हर हाथ को मिल गया काम, क्योंकि हर हाथ में है मोबाइल

मोदी जी हमारे देश के गौरव हैं। यह हमारे लिए हर्ष और गर्व का विषय है कि 70 साल में पहली बार हमें बहुराष्ट्रीय प्रधानमंत्री मिला है। लोकप्रिय प्रधानमंत्री आज केदारनाथ आ रहे हैं। अब चुनाव नजदीक हैं। पिछली बार आए थे तो कहा था कि डबल इंजन सरकार होगी तो उत्तराखंड का तेजी से विकास होगा। पिछले पांच साल में तीन इंजन लगा दिये। त्रिवेंद्र, तीरथ और धामी। फिर भी सरकार दो कदम आगे और चार कदम पीछे हो जाती है। तीनों इंजन भी सरकार नहीं खींच पा रहे हैं। क्या करें, पहाड़ की चढ़ाई ऐसी है। हां, यह आप ही हैं जो साबित कर रहे हैं कि डबल इंजन (हेलीकॉप्टर) से पहाड चढ़ा जा सकता है। हालांकि आप चाहते तो आलवैदर रोड से भी वहां जा सकते थे। आलवैदर रोड भी चकाचक है।
आप केदारनाथ में करोड़ों के विकास कार्यों का उद्घाटन और लोकार्पण कर रहे हैं। जिस गुफा में आपने पिछली बार ध्यान किया था, उसी तरह की गुफाएं पूरे पहाड़ में बनाने की घोषणा होनी चाहिए। हमें निकट भविष्य में इसी तरह की हजारों गुफाओं की जरूरत होगी। पहाड़ में आदिकाल लौट आया है। कबीलों के से हालात हो गये हैं पहाड़ में। गर्भवती महिलाओं के प्रसव खेतों ओर जंगलों में हो रहे हैं। वन्य जीव आदमी को निवाला बना रहे हैं। गुलदार, बंदरों और सूअरों से मानव की जंग चल रही है। आपने जो विकास की सड़क खोदी उससे गिरे पत्थरों से मनुष्य दब कर मर रहा है।
विकास की सुरंग में 204 लोग मर गये लेकिन आज तक उनका पता नहीं चला। पहाड़ बर्बाद हो रहे हैं और पलायन आयोग गठित हो रहा है। गांव भुतहा हो रहे हैं और घस्यारी योजना चल रही है। स्कूल खोलने की बजाए बंद हो रहे हैं। जिन सड़कों का कमीशन खाकर आपके नेता, अफसर, ठेकेदार और दलाल मोटे और थुलथुले हो रहे हैं, वो सड़क गांवों से शहर की ओर तो जा रही है लेकिन एक भी ऐसी सड़क नहीं बनी जो शहर से गांव जाती हो। हां, इतना जरूर है कि प्रदेश में कोई बेरोजगार नहीं है। हर हाथ को काम मिल गया है क्योंकि सभी हाथों में मोबाइल आ गया है और डिजिटल इंडिया उत्तराखंड में साकार हो रहा है।
आपका इसलिए भी स्वागत है कि प्रदेश के सभी नेता आपके नक्शेकदम पर चल रहे हैं। झूठी घोषणाएं और हवाई बातें कर रहे हैं। रोज एक नया झूठ फेंका जाता है और आपके भक्त लपक लेते हैं। यहां के जल, जंगल और जमीन पहले कलकत्ता के सेठों के हाथ बिकते थे अब गुजरात और भाजपा समर्थक कारपोरेट घरानों के हाथ बिक रहे हैं। इसलिए यह जरूरी है कि जिस तरह केदारनाथ में गुफाएं बनाई गयी हैं वो सभी पर्वतीय जिलों में बनाई जाएं, निकट भविष्य में पहाड़ के आदमी को गुफाओं में ही रहना होगा। वहां मकान तो खंडहर हो रहे हैं और गांव भुतहा।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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