गौरा के समय जंगल बिकते थे कलकत्ता के सेठों के हाथ

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  • और अब पहाड़ बिक रहे हैं गुजरात के ठेकेदारों के पास!
  • जोशीमठ हमारा उजेड़गा, चांदी गुजरात के ठेकेदारों की होगी

कुछ दिन पहले भाजपा मुख्यालय में बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय से मुलाकात हुई। मंदिर समिति को लेकर लंबी बातचीत भी हुई। उनके द्वारा कुछ अच्छे कार्य किये जा रहे हैं। ओंकारेश्वर मंदिर परिसर, कोठा भवन, त्रिजुगीनारायण मंदिर, भविष्य बद्री समेत कई मंदिरों का जीर्णोद्धार हो रहा है और होने की संभावना है। समिति के 47 मंदिर हैं। केदारनाथ में मौजूदा समय में 750 करोड़ के विकास कार्य चल रहे हैं। अजेंद्र की मंदिरों के जीर्णोद्धार की अच्छी सोच के बीच विचारणीय बात यह है कि केदारनाथ रोपवे, केदारनाथ में कई विकास कार्यों, ओंकारेश्वर मंदिर के जीर्णोंद्धार और यहां तक कि बदरी-केदार के प्रतीक चिन्हों के लिए भी कंसलटेंट हायर किया जाना है तो वह भी गुजरात का ही होने की संभावना है। यानी हम गुजरात के ठेकेदारों के बिना दो कदम आगे नहीं चल सकते हैं। जबकि मैं बता दूं कि हमारे पास आईआईटी रुड़की से पासआउट कृष्ण कुड़ियाल जैसा प्रतिभावान आर्किटेक्ट है जो परम्परागत शैली में हमारे मंदिरों का जीर्णोद्धार कर सकता है। महासू मंदिर हो, देवल का ओंणेश्वर महादेव हो या दिल्ली के सेना भवन में केदारनाथ की प्रतिकृति। निम का अत्याधुनिक म्यूजियम भी कृष्ण ने ही तैयार किया है। उधर, बदरीनाथ में अधिकांश विकास कार्य गुजरात के ठेकेदारों के पास हैं।
चारधाम परियोजना हो या ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन के अधिकांश काम गुजरातियों के पास हैं। अब जोशीमठ पुनर्निर्माण का कार्य होगा तो अनुमान लगाया जा सकता है कि सब कुछ गुजरात के ठेकेदारों के पास होगा। यानी जोशीमठ हमारा उजड़ेगा, चांदी गुजरात के ठेकेदारों की होगी।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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