पहाड़ को चाहिए एक और गौरा देवी और सुंदरलाल बहुगुणा
प्रकृति बचेगी तो ही संस्कृति और भाषा भी बचेगी मर रही हैं पहाड़ की भाषाएं, भाषा मरती है तो जैव विविधता और संस्कृति भी मर जाती है। हरेला पर्व राजकीय पर्व है। हरेला माह में सरकार चार लाख और बहुत से सामाजिक संगठन संभवतः हजारों पेड़ लगाते हैं, लेकिन इसकी तुलना में लाखों पेड़ विकास … Continue reading पहाड़ को चाहिए एक और गौरा देवी और सुंदरलाल बहुगुणा
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