अब साकार होगी ऊर्जा प्रदेश की अवधारणा!

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  • भाजपा 100, कांग्रेस 200 और आप देगी 300 यूनिट बिजली फ्री
  • 200 परियोजनाओं से बिजली बनाओगे या आपदाओं को बुलाओगे?

आम आदमी पार्टी को भले ही कुछ लोग पाकिस्तानी या रोहिंग्या की तरह उत्तराखंड में घुसपैठिये मान रहे हों, और यह भी कहा जा रहा हो कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में आप को निराशा ही हाथ लगेगी। प्रदेश की जनता आप को स्वीकारेगी नहीं, लेकिन यह तो लोग माने या न माने, आप के आने से प्रदेश में ऊर्जा की बात होने लगी है।
आप के बिजली-पानी मुफ्त देने के एजेंडे के बदले में भाजपा ने 100 यूनिट बिजली मुफ्त देने तो कांग्रेस ने 200 यूनिट और अब आप ने 300 यूनिट बिजली देने की घोषणा कर दी है। पैसे यानी राजस्व का एक बड़ा भाग बिजली खरीद के लिए कहां से आएगा। मसलन यदि भाजपा इस पर अमल करती है तो लगभग 700 करोड़, कांग्रेस का 1400 और आप का 2100 करोड़ रुपये सालाना खर्च होगा। भूलें नहीं, यह सब मुफ्त का माल अप्रत्यक्ष तौर पर आपकी जेब से ही जाएगा।
फिलहाल बात ऊर्जा की। कहां से आएगी इतनी बिजली? मौजूदा समय में उत्तराखंड में रोजाना लगभग 35 मिलियन यूनिट बिजली की खपत होती है। जानकारी के मुताबिक प्रदेश में विद्युत उत्पादन और खपत में पहले से ही लगभग तीन गुणा अंतर है। उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड 12 परियोजनाओं से करीब 11.79 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन कर रहा है, जबकि प्रदेश में बिजली की खपत 35 मिलियन यूनिट तक है। यूपीसीएल केंद्रीय पूल से करीब 9 मिलियन यूनिट बिजली लेता है और बाकी बिजली यूपीसीएल निजी कंपनियों से खरीदती है।
अभी उपभोक्ताओं को बिजली बिल का डर है तो वह इसका उपयोग सोच-समझकर करते हैं। लेकिन जब बात मुफ्त की बिजली की होगी तो बचत की कौन परवाह करेगा?
मौजूदा समय में उत्तराखंड में 98 जलविद्युत परियोजनाएं कार्यरत हैं और 111 निर्माणरत। वर्तमान कार्यरत परियोजनाओं की कुल स्थापना क्षमता 3600 मेगावाट है। 21,213 मेगावाट की 200 परियोजनाएं योजना में हैं। 2032 तक उत्तराखंड से 1,32,000 मेगावाट विद्युत उत्पादन का लक्ष्य रखा गया था। उत्तराखंड की सरकारें हमेशा यह कहती है कि ऊर्जा उत्पादन उसकी आय का बड़ा स्रोत है। वह ऊर्जा प्रदेश के रूप में भारत में आगे बनना चाहती है, लेकिन ईमानदारी से किसी भी सरकार ने इस अवधारणा पर काम नहीं किया।
अब जब चुनाव हैं तो मतदाताओं को रिझाने के लिए मुफ्त बिजली की बात कर रहे हैं, लेकिन हमें न तो केदारनाथ आपदा को भूलना है और न ऋषिगंगा को। ये जो बांध बन रहे हैं, वो आपदाओं को न्योता दे रहे हैं। हम भूल रहे हैं कि प्रकृति अपना संतुलन बनाती है। उसके साथ अधिक छेड़छाड़ ठीक नहीं। फिलहाल तो खुश हो जाओ कि सरकार कोई भी आए, बिजली मुफ्त मिलेगी।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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