केदारनाथ उपचुनाव में भाजपा की उम्मीदवार आशा नौटियाल ने कल जनता का दिल घायल कर दिया। मंच से पूर्व विधायक शैलारानी को याद कर रो पड़ी। बस कर पगली, हमें भी रुलाएगी क्या? कितना दर्द है दिल में? बेचारी ऐश्वर्या तो समझ ही नहीं पाई कि उसकी मां के निधन का इस दुखियारी को इतना दुख था, महीनों से यह घनीभूत पीड़ा दिल में छिपाकर रखी हुई थी और त्रिजुगीनारायण में सैकड़ों लोगों के साथ पीड़ा का यह सैलाब टूट गया। आंसुओं की गंगा-जमुना बहने लगी। ऐश्वर्या को यह पहले पता होता तो पहले दिन से आशा का चुनाव प्रचार करती। आजकल ऐसी सहेलियां मिलती कहां हैं?
भाजपा अध्यक्ष महेंद्र भट्ट लोकसभा चुनाव के दौरान जनता के सामने दहाड़ मार-मार कर रोये कि वोट दे दो, वोट दे दो। जनता ने कहा, ले हट, एक अदनेे से वोट से तेरे आंसू रुकते हैं तो ले ले। परिणाम, अनिल बलूनी जीत गए। अब आशा रो रही है, वह भी गजब की बात है शैला रानी को याद करते हुए रो पड़ी। उसी शैला के खिलाफ 2017 में चुनाव लड़ी और उसी शैला को हराने के लिए 2022 में दिल से कामना की। अब याद कर रो रही है बेचारी। जनता दे दो इस बेचारी को भी वोट। क्या पता शैला की याद में एक म्यूजियम या ताजमहल बना दे। महेंद्र भट्ट और आशा ने राजनीतिक मंचों पर रोना हरक सिंह रावत से सीखा है। तो हरकू दा इन दोनों के राजनीतिक गुरु हुए…!
(वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार)