कुछ अलग किस्म का है ये नेता, भविष्य की उम्मीद

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  • कर्नल कोठियाल में गांव की पगडंडियों पर चढ़ने का जज्बा
  • गंगोत्री के दूरस्थ गांवों तक 3 से 16 किमी की पैदल दूरी तय कर पहुंच रहे गांव

उत्तराखंड की राजनीति बदरंग हो गयी है और जनता को नेताओं के चेहरे भोथरे हो गये हैं। लगभग हर घंटे में नेता कपड़ों और जूतों की तरह दल बदल रहे हैं। राजनीति विशुद्ध उद्योग बन गयी है। इस सबसे अलग राजनीति में एक रोशनी की किरण जगाता है कर्नल अजय कोठियाल। कर्नल कोठियाल आम आदमी पार्टी के सीएम पद के चेहरे हैं और गंगोत्री से चुनाव मैदान में हैं। कर्नल एक अलग मिजाज का आदमी है जो नेता बन गया। अपनी धुन का पक्का। वह आम नेताओं की तरह हवाई वादे नहीं करता, जुमलों की बात नहीं। राजनीतिक भाषा का इस्तेमाल नहीं करता। यूं कह सकते हैं कि राजनीति में नौसिखिया है लेकिन नीयत साफ है और पहाड़ के प्रति वेदना भी।
कर्नल कोठियाल संभवत पहले ऐसे सीएम चेहरा होंगे जो पहाड़ की पगडंडियों पर मीलों पैदल चलकर सुदूर गांव तक पहुंच रहे हैं। वह मंजकोट की नन्हीं बालिका के साथ बातचीत करते हैं। उसके सपनों की बात सुनते हैं। वह धनारी के एक युवा के कंधे पर हाथ रखकर उसके भविष्य की बात करते हैं। वह भटगांव के पूर्व फौजी के घर में बैठकर गांव के हालात पर चर्चा करते हैं। कोई भाषण नहीं, कोई जुमले नहीं। एक फौजी की तरह सीधी और सपाट बात। आम बोलचाल के साथ वोट मांगने का यह तरीका नायाब है।
कर्नल गांवों तक पहुंचने के लिए वर्किंग लंच लेते हैं। कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर खाते हैं। बकायदा ट्रेकिंग में इस्तेमाल की जाने वाली फोल्डिंग टेबल साथ चलती है। 11 गांवों को कवर करने का टारगेट रखकर 6 गांवों को कवर करने के बाद वर्किंग लंच भी चुनाव प्रचार के नए शब्द हैं।
मैं नहीं जानता कि गंगोत्री में जनता का मूड क्या है? कर्नल कोठियाल यहां से जीतेंगे या नहीं, यह मुझे नहीं पता। लेकिन मुझे इतना पता है कि कर्नल कोठियाल हमारे प्रदेश की राजनीति में एक रोशनी की एक नई किरण है, जो राजनीति शुचिता और पहाड़ों को आबाद करने की उम्मीद जगाती है।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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