- बूथ स्तर तक पहुंचना भी होगा मुश्किल
भाजपा-कांग्रेस में टिकटों की मारामारी है। इसलिए समझ में आता है कि पार्टी देरी से टिकट डिक्लियर करें लेकिन यूकेडी ऐसा क्यों कर रही है समझ से परे है। यूकेडी को चाहिए था कि जनवरी पहले हफ्ते तक सभी उम्मीदवार घोषित कर देती ताकि उम्मीदवार अपने क्षेत्र में प्रचार करते और पार्टी का चिन्ह गांव-गांव तक पहुंचाते। लेकिन यूकेडी ने पहली लिस्ट के बाद दूसरी लिस्ट जारी नहीं की। इसका खमियाजा उन उम्मीदवारों को भुगतना पड़ सकता है जो पार्टी को जिन्दा रखने के लिए अपने क्षेत्र में लगातार काम कर रहे हैं।
उदाहरण के लिए मोहित डिमरी ने रुद्रप्रयाग में यूकेडी को नया आयाम दिया है। मोहित इस समय विनिंग कंडीडेट माना जा रहा है लेकिन पार्टी ने उसको अब तक उम्मीदवार घोषित नहीं किया। इसके कारण रुद्रप्रयाग के यूकेडी के कार्यकर्ताओं का भी मनोबल कम हो रहा है। यही नहीं पार्टी अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी ने अब तक यह तय नहीं किया कि वह चुनाव लड़ेंगे या नहीं? टीम के स्टार प्रचारक कौन होंगे? पार्टी का घोषणा पत्र तो जारी कर दिया लेकिन जनता तक मुद्दों की बात पहुंचाएंगा कौन? अब महज 28 दिन बचे हैं। यूकेडी को अपने बाकी उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर देनी चाहिए। वरना उम्मीदवार अपने क्षेत्र में कम देहरादून अधिक नजर आएंगे और पार्टी के हाल 2017 जैसे हो जाएंगे?
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]